अनूपपुर। जिले में संचालित ९८ छात्रावास व आश्रमों में शिक्षारत छात्र-छात्राओं की सुरक्षा से आदिवासी विभाग अनजान बना हुआ है। प्रदेश में स्कूली छात्र-छात्राओं के प्रति बढ़ रहे अपराध के मद्देनजर वर्ष २०१७ में शासन ने सभी छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश जारी किए थे। साथ ही समस्त छात्रावासों में कार्यरत अधीक्षकों व छात्र-छात्राओं की उपस्थिति थम्ब इम्प्रेशन मशीन के माध्यम से दर्ज कराने की बात कही थी, ताकि छात्रावासों में उपस्थित छात्रों व कार्यरत अधीक्षकों की वास्तविक जानकारी विभाग को उपलब्ध हो सके। इसके अलावा किसी छात्रावास में घटित होने वाली घटना के सम्बंध में जरूरत के अनुसार उसकी मॉनीटरिंग भी किया जा सके। लेकिन विभागीय उदासीनता में जिले में संचालित ५० से अधिक छात्रावास व आश्रमों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसके अलावा जिला शिक्षा विभाग के अधीनस्थ संचालित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल की चारो विकासखंड अनूपपुर, कोतमा, जैतहरी और पुष्पराजगढ़ की छात्रावासों में लगी सीसीटीवी कैमरे का भी नियमित जांच पड़ताल नहीं की जा रही है। जिसके कारण छात्रावास में उपस्थित अधीक्षकों व बच्चों की उपस्थिति का आज तक सही आंकलन विभाग द्वारा नहीं किया गया है। छात्रावास द्वारा कोरे कागजों पर जो विभाग को जानकारी भेजी गई, विभाग ने उसे ही अब तक सही मान आगे की कार्रवाई की है। विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में आदिवासी विभाग की अधीनस्थ ५० सीटर अनुसूचित जनजाति ३० आश्रम संचालित है। इसके अलावा अनुसूचित जनजाति की ५० सीटा की ९ जूनियर छात्रावास, अनुसूचित जनजाति उत्कृष्ट की ८ छात्रावास, अनुसूचित जनजाति सीनियर की ५० सीटों वाली ३२ छात्रावास, अनुसूचित जनजाति महाविद्यालय स्तर की ५० सीटों वाली ४ छात्रावास, २१० सीटों वाली एकलव्य आवासीय की २ छात्रावास, अनुसूचित जनजाति की १००-१०० सीटो वाली दो क्रीड़ा परिसर छात्रावास, अनुसूचित जनजाति की ४९० सीटों वाली ३ शिक्षा परिसर छात्रावास। जबकि अनुसूचित जाति की ५० सीटो वाली ५ जूनियर छात्रावास, अनुसूचित जाति की ५० सीटो वाली ८ सीनियर छात्रावास तथा अनुसूचित जाति महाविद्यालय की ५० सीटो वाली २ छात्रावास संचालित हैं।बॉक्स: छात्रावास की गतिविधियों पर निगरानी के थे निर्देश, दो कैमरे अनिवार्यविभागीय अधिकारियों का मानना है कि इन छात्रावासों में दूर-दराज ग्रामीण अंचल के छात्र-छात्राएं अध्ययनरत होती है। जिनकी सुरक्षा और छात्रावास की गतिविधियों पर निगरानी के लिए शासन ने प्रत्येक छात्रावास के सामने और पिछले हिस्से में एक-एक सीसीटीवी कैमरा लगाने के आदेश जारी किए थे। इसके लिए शासन स्तर पर प्रत्येक छात्रावास के लिए १५ हजार रूपए की राशि भी प्रस्तावित की थी। जिसमें शुरूआती समय विभाग ने कम बजट की बात कह सीसीटीवी कैमरे लगाने से दूरी बना ली थी। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि सीसीटीवी कैमरे वर्तमान में छात्रावासों की गतिविधियों के लिए आवश्यक है। संचालित छात्रावासों में अधिकांश छात्रावासों में रात के समय महिला अधीक्षिकाएं उपस्थित नहीं होती, भृत्य या रसोईयां के भरोसे पूरा छात्रावास रहता है। कुछ छात्रावासों से लगातार खाना और अन्य गतिविधियों की शिकायतें भी मिलती है, लेकिन सीसीटीवी कैमरे की कमी और मॉनीटरिंग के अभाव में दोषी सीधे तौर पर बच निकलते हैं।बॉक्स: एसईसीएल से मदद की आसजिले के ऐसे छात्रावास जहां सीसीटीवी कैमरे नहंी लग सके हैं, उन स्थानों पर अब विभाग एसईसीएल की मदद से सीसीटीवी कैमरे लगाने की कार्ययोजना बनाई है। इसके लिए प्रशासन से मदद की अपील की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में अमलाई में दो स्कूलों की मरम्मत एसईसीएल द्वारा कराई जा रही है, इसके अलावा बिजुरी में भी एक स्कूल को कॉलरी प्रबंधन से कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। वर्सन: अब भी पूरे छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे नहंी लग पाए हैं, इसके लिए एसईसीएल से मदद के प्रयास किए जाएंगे। अधिकारियों को जहां सीसीटीवी लग चुके हैं उसकी वास्तविक जानकारी के लिए मॉनीटरिंग के लिए निर्देशित किया जाएगा।पीएन चतुर्वेदी, सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग अनूपपुर।[typography_font:18pt;” >—————————————————