निद्रा से जागे भगवान विष्णु, मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत
तुलसी संग शालिग्राम का हुआ परिणय, आंवला व सिंघाडे का लगा भोग
निद्रा से जागे भगवान विष्णु, मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत
अनूपपुर। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी या देवउठनी एकादशी यानि भगवान विष्णु के निंद्रा से जागने का दिन। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी या देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु चार मास के विश्राम के बाद जागे थें। भगवान के आगमन की खुशी में माता लक्ष्मी सहित विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के जागने का आह्वान किया जाता है। देवउठनी एकादशी जिला मुख्यालय अनूपपुर सहित जैतहरी, कोतमा, बिजुरी, अमरकंटक, पसान, राजेन्द्रग्राम सहित ग्रामीण क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने निर्जला व्रत कर तुलसी विवाह किया तथा सुख-समृद्धि की कामना की। इस मौके पर बाजारों में आंवला, सिंघाड़ा, गन्ना की जमकर खरीदारी हुई। पूरा बाजार ही गन्नों से अटा पड़ा रहा। शाम को महिलाओं ने एकादशी का व्रत करते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन अर्जन करते हुए आह्वान किया, जहां परिवार की सुख समृद्धि का कामना की आशीष मांगा। मान्यता है कि आज के दिन ही मांगलिक कार्यों की शुरूआत होती है। एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा से जन्म जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं। व्रत करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में समृद्धि आती है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ इस दिन तुलसी का शालिग्राम के साथ परिणय सूत्र बांधा जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी पूजा से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य बनती है। इस दिन आंवला, सिंघाड़े का भोग लगाया जाता है। विवाह के समय तुलसी के पौधे को आंगन, छत या पूजास्थल के बीचोंबीच रखा जाता है। जहां गन्न से तुलसी का मंडप संजाया जाता है, तथा विधिविधान के साथ विवाह रस्म पूरा किया जाता है। माना जाता है कि हिंदू धर्म में देवोत्थान एकादशी भगवान विष्णु के मानव के अंदर सोने-जागने और अपनी इंद्रियों और मन को संयमित करने की यात्रा है।
—————————————————
Home / Anuppur / निद्रा से जागे भगवान विष्णु, मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत