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अनूपपुर

मेरा शहर मेरा मुद्दा: 15 साल और तीन चुनावों से पानी बना मुद्दा, फिर भी आधा शहर प्यासा

मेरा शहर मेरा मुद्दा: 15 साल और तीन चुनावों से पानी बना मुद्दा, फिर भी आधा शहर प्यासा

अनूपपुरOct 15, 2018 / 08:21 pm

shivmangal singh

My city is my issue: water issue with 15 years and three elections, ye

मेरा शहर मेरा मद्दा: 15 साल और तीन चुनावों से पानी बना मुद्दा, फिर भी आधा शहर प्यासा

करोड़ों के खर्च के बाद भी आधा शहर पानी के लिए मोहताज, १४.७० करोड़ की फिल्टर प्लांट चार साल बाद भी अधूरी
अनूपपुर। शहडोल सम्भाग की ससंदीय सीट की राजनीति में दशा-दिशा तय करने तथा विधानसभाओं में तीन विधानसभा क्षेत्र देने वाला अनूपपुर जिला हर राजनीतिक पार्टियों का केन्द्र रहा है। जहां मैदान में उतरने वाले हर प्रत्याशी के एजेंडा में अनूपपुर शहर को सुविधायुक्त बनाने का दावा शामिल रहा है। लेकिन अनूपपुर के जिला बनने के १५ साल तथा तीन विधानसभा चुनाव गुजरने के बाद भी अनूपपुर शहर की पानी किल्लत आज भी बनी हुई है। तीन पंचवर्षीय योजना के तहत चुनाव जीतने के बाद करोड़ों की योजना बनी, करोड़ों रूपए बिजली के बिल में भरे गए, लेकिन अनूपपुरवासी प्यासे के प्यासे रह जाते हैं। आलम है कि आधा शहर पानी के लिए हर दूसरे दिन आस लगाए बैठा रहता है। जिला बनने के समय शहर को ग्राम पंचायत व्यवस्था से उबारते हुए नगरपालिका बनाने तथा शहर को २४ घंटे पानी देने के वादे में १५ साल और तीन विधानसभा चुनावों के उपरांत पानी का मुद्दा आज भी बना हुआ है। आधा शहर जमीन के अंदर के पानी पर निर्भर है, शेष आधा शहर पानी टैंकर और एक दिन छोडक़र पानी लेने को विवश है। शहर का छह वार्ड पेयजल समस्या से परेशान है। वार्ड क्रमंाक ९, १०, ११,१२, १३, १४ तथा १५ में पानी की समस्या विकट है। जबकि वार्ड १ से ८ तक बिना फिल्टर प्लांट के जमीन से बोर कर निकाली जा रही जलापूर्ति को घरों तक उतारा जा रहा है। इसके निपटने कई प्रस्तावों के बाद शासन ने वर्ष २०१३ में फिल्टर प्लांट स्थापित करने के आदेश जारी किए, लेकिन १४.७० करोड़ की स्थापित होने वाले फिल्टर प्लांट को लगभग पांच वर्ष बीत गए। बावजूद फिल्टर प्लांट का कार्य पूर्ण नहीं हो सका। बॉक्स: २० हजार की आबादी के लिए तीन बोर पम्प
अनूपपुर नगरपालिका के १५ वार्ड रेलवे लाईन के कारण दो हिस्सों में बंटे हैं, जहंा एक ओर ८ वार्ड तो दूसरी ओर ७ वार्ड स्थापित हैं। लगभग २० हजार की आबादी के लिए एक मात्र तीन बोर पम्प मशीन लगाए गए हैं। साथ ही १९५ हैंडपम्प भी बोर किए गए हैं। इसमें एक बोर पम्प मशीन रजहा तालाब, एक बोर पम्प मशीन उपकार्यालय बस्ती तथा एक बोर पम्प मशीन वार्ड क्रमांक १० में लगाए हैं। जबकि इससे पूर्व दुलहरा तालाब में पांच बोर पम्प के माध्यम से जलापूर्ति कराई जाती थी। लेकिन अब इनमें अधिकांश बोर फेल हो गए। नगरपालिका की जानकारी के अनुसार रेलवे फाटक से सब्जी मंडी की ओर वार्ड क्रमांक १ से ८ तक में पाईपलाईन के माध्यम से रोजाना जलापूर्ति कराया जाता है, लेकिन वार्ड क्रमांक ५ और ७ में कम पानी के दबाव के कारण दोनों वार्डो में पानी का चढाई नहीं हो पाता। जिसके कारण नगरपालिका पानी टैंकर के माध्यम से रोजाना जलापूर्ति कराती है। जबकि इंदिरा तिराहा रेलवे फाटक पार वार्ड क्रमांक ९ से १५ के लिए एक दिन छोडक़र दूसरे दिन जलापूर्ति कराया जाता है।
बॉक्स: पांच साल बाद भी फिल्टर प्लांट का सपना अधूरा
नगरपालिका क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए वर्ष २०१३ में योजना प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसमें वर्ष २०१४ में शासन ने स्वीकृति प्रदान की है। लेकिन नगरपालिका के खाते में वर्ष २०१५ में पैसे आए। यहीं नहीं नगरपालिका ने वर्ष २०१६ से फिल्टर प्लांट का कार्य आरम्भ कराया। सालभर के प्रस्तावित निर्माण कार्य में दो साल बीत गए। लेकिन १४.७० करोड़ का फिल्टर प्लांट आज भी अधूरा है। इस योजना में ४ पानी टंकी के साथ ६० किलोमीटर लम्बी पाईप लाईन बिछाने का कार्य प्रस्तावित है।
वर्सन:
जमीन उपलब्धता के साथ सुस्त गति निर्माण के कारण परियोजना के पूर्ण में विलम्बता आई। दिसम्बर तक फिल्टर प्लांट से जलापूर्ति सम्भव हो सकेगी। पानी की समस्या नगर में है।
रामखेलावन राठौर, नपा अध्यक्ष अनूपपुर।

पानी की समस्या आज की नहीं है, इसके लिए जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासनिक सुस्ती भी जिम्मेदार है। लोग पानी के लिए परेशान है और योजनाएं पांच साल में भी तैयार नहीं हो पा रही है।
राजेश कुमार गुप्ता, अनूपपुरवासी
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शहर में पानी की समस्या बढ़ती ही जा रही है, दिनोंदिन शहर विस्तारित हो रहा है और संसाधन सीमित होते जा रहे हैं। यह जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उपेक्षाओं का मूल कारण है। नगरवासी पानी की समस्या से त्रस्त है और प्रशासन उनकी सुधि लेने तैयार नहीं।
सुदीप सोनी, अनूपपुरवासी

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