मरीजों की जान से खिलवाड़, जिलेभर मरीजों के लिए जिला अस्पताल में मात्र 25 यूनिट रक्त भंडार
पुष्पराजगढ़ सीएचसी में नहीं एक यूनिट खून, रक्त के अभाव में मरीज शहडोल हो रहे रेफर
मरीजों की जान से खिलवाड़, जिलेभर मरीजों के लिए जिला अस्पताल में मात्र 25 यूनिट रक्त भंडार
अनूपपुर। जिला अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। अस्पताल के ३०० यूनिट वाले ब्लड बैंक में मात्र २५ यूनिट खून उपलब्ध है, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पुष्पराजगढ़ में २५ यूनिट की जगह एक भी यूनिट ब्लड की व्यवस्था नहीं है। वर्तमान में ब्लड बैंक में जो ग्रूप उपलब्ध हैं ये ऐसे ग्रूप के ब्लड हैं जिसके मरीज नाममात्र हैं। जिसके कारण सडक़ हादसे से लेकर सिजेरियन प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली माताओं को रक्त की कमी में अनूपपुर के बजाय शहडोल की ओर रेफर किया जा रहा है। इसमें मरीजों के साथ साथ परिजनों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन दूसरी ओर जिला अस्पताल प्रशासन इन परेशानियों के प्रति गम्भीर नहीं दिख रहा है। शासन की नजरों में अनूपपुर कुपोषित जिलों में शामिल है तथा यहां रक्त अल्पता के शिकार मरीजों की संख्या सर्वाधिक है। मौसम बदलाव से संक्रमण वाले जून माह के शुरूआती दिनों में ही अनूपपुर जिला अस्पताल में मात्र २५ यूनिट खून शेष है, तथा पुष्पराजगढ़ और कोतमा सीएचसी में एक भी यूनिट ब्लड नहीं है। उपलब्ध ब्लड ग्रूपों में ए पॉजिटिव १ यूनिट, बी पॉजिटिव १६ यूनिट, ए निगेटिव ४ यूनिट, बी निगेटिव १ यूनिट, ओ पोजिटिव ३ यूनिट, एबी पॉजिटिव ० यूनिट, एबी निगेटिव ० यूनिट ओ निगेटिव ० है। जिला अस्पताल लैब की जानकारी के अनुसार मदर ब्लड बैंक में ३०० यूनिट ब्लड रखना अनिवार्य है। हालंाकि इसे ३२५ यूनिट तक रखने की क्षमता में स्थापित किया गया है। इसमें प्रतिमाह जिला अस्पताल को १५०-२०० यूनिट की आवश्यकता होती है। इनमें सर्वाधिक ग्रूप ओ पोजिटिव लगभग ६०-७५ यूनिट तथा सबसे कम एबी पॉजिटिव १०-१२ यूनिट खर्च होती है। लेकिन पिछले पांच माह से ब्लड बैंक में नाममात्र में विभिन्न ग्रूपों के ब्लड शेष बचे हैं। सूत्रों की जानकारी में ब्लड डोनेट के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी से मई तक अबतक ४ शिविर लगाए गए हैं। लेकिन यहां से मात्र १०६ यूनिट ब्लड की उपलब्धता हो सकी है। जबकि इससे पूर्व दिसम्बर माह में लगाए गए रक्तदान शिविर से १५७ यूनिट ब्लड की आपूर्ति हो सकी थी। ब्लड बैंक में १०० यूनिट ब्लड रखना अनिवार्य किया है।
जिला अस्पताल की जानकारी के अनुसार जिले में प्रतिदिन १०-१५ छोटे-बड़े सडक़ हादसे होते हैं। इनमें आधा दर्जन केसेज गम्भीर होते हैं। जबकि जिला अस्पताल में रोजाना १२-१३ माताएं प्रसव के लिए भी भर्ती होती है, जिनमें ५-७ प्रसव ऑपरेशन के द्वारा कराया जाता है। लेकिन इन ऑपरेशन में पूर्व से कुपोषित माताओं के कारण रक्त की अधिक मात्रा की आवश्कता पड़ती है। जिसमें वर्तमान में रक्त कमी के कारण इन्हें शहडोल रेफर कर दिया जाता है। आंकडों में देखा जाए तो जनवरी माह में १६७ यूनिट खर्च हुए, जबकि फरवरी में १३६ यूनिट, मार्च में १४४, अप्रैल में २३९ तथा मई माह में ३११ यूनिट की खपत हुई है।
बॉक्स: जागरूकता के प्रति नहीं गम्भीर स्वास्थ्य विभाग
एसईसीएल की १८ कोल खदान सहित हिन्दुस्तान पावर प्लांट जैसे संस्थानों के बाद भी जिला अस्पताल प्रशासन रक्तदान शिविर के लिए गम्भीर नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी आमजनों को अपने परिजनों के लिए रक्तदान करने या अन्य से कराने कोई जागरूकता कार्यक्रम नहीं आयोजित करवा रही है। जिसके कारण ग्रामीणों में आज भी रक्तदान को लेकर अनेक भ्रांतियां बनी हुई हैं और अस्पताल में अपने परिजनों के लिए रक्तदान करने से मनाही कर रहे हैं।
वर्सन:
शिविर का आयोजन तो किया जाता है लेकिन रक्तदाता अधिक संख्या में सामने नहीं आ रहे हैं। जिला प्रशासन के निर्देशन में २७ मई को आयोजित रक्तदान शिविर में भी मात्र २४ यूनिट रक्त उपलब्ध हो सका था। अस्पताल में रक्त की कमी होने के कारण पुष्पराजगढ़ सीएचसी में भी खून की कमी बन गई है।
डॉ. एसआर परस्ते, सिविल सर्जन जिला अस्पताल अनूपपुर।
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