धूं-धूं कर जला अधर्म की आस्था का प्रतीक रावण, हर्षोल्लास के साथ मना विजयादशमी का त्यौहार
35 फुट उंचे रावण के पुतले का दहन, अस्थायी कुंड में विसर्जित हुई माता की प्रतिमाएं
धूं-धूं कर जला अधर्म की आस्था का प्रतीक रावण, हर्षोल्लास के साथ मना विजयादशमी का त्यौहार
अनूपपुर। शारदीय नवरात्रि के अंतिम १०वें दिन बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म तथा अहंकार पर निरहंकार का प्रतीक और आदिशक्ति दुर्गा द्वारा महिषासुर की मर्दना के रूप में मनाए जाने वाला विजयदशमी का त्योहार २६ अक्टूबर को शांति एवं सौहार्द में सम्पन्न हुआ। इस दौरान आदिशक्ति माता दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन और जगह-जगह रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतलों का सामूहिक प्रतीकात्मक दहन किया गया। जिला मुख्यालय अनूपपुर में सोमवार की शाम जिला प्रशासन व जनभागीदारी व्यवस्था में अस्थायी कुंडों में माता की प्रतिमाओं का विसर्जन कराया गया। मुख्यालय से लगभग दर्जनभर से अधिक छोटी-बड़ी प्रतिमाएं विसर्जित की गई। जिसकी सुरक्षा में पूर्व से तैनात सुरक्षा बलों ने सभी प्रतिमाओं को निर्माणाधीन बस स्टैंड परिसर स्थित अस्थायी कुंड में विसर्जित कराया। अस्थायी कुंड पर नगरीय व जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। कुंड पर एक साथ प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान भीड़ न एकत्रित हो, पंडाल समितियों को समयावधि देकर बुलाया गया था। जिसके कारण प्रतिमा विसर्जन का सिलसिला शाम से आरम्भ होकर रात तक चला। इस दौरान शहर के साथ अन्य विकासखंडो में भी दशहरा का पर्व शांति एवं सौहार्द के बीच सम्पन्न हुुआ। शहर में चली आ रही नवरात्रा के बाद दशमी को विजय दिवस के उपलक्ष्य में एक्सीलेंस स्कूल परिसर में नगरपालिका की ओर से रावण दहन व राम के राज्याभिषेक संस्करण का प्रतीकात्मक आयोजन किया गया। जिसमें नगर के गणमान्य नागरिकों की मौजूदगी में ३५ फुट उंचे रावण का दहन किया गया। रावण दहन में मंच पर पधारे राम-लक्ष्मण व वशिष्ठ गुरू की अगुवाई में रावण को तीर मार कर उसका वध किया गया। वहीं विजयदशमी पर्व के अवसर पर सुबह में पुलिस लाइन में शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के पुलिस अधीक्षक मांगीलाल सोलंकी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक राजन, एसडीओपी कीर्ति बघेल, आरआई सहित कोतवाली थाना प्रभारी नरेन्द्र पॉल, जिला यातायात प्रभारी और पुलिस स्टाफों ने विधि विधान के साथ कालका माता की पूजा कर शस्त्र पूजन की।
बॉक्स: कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में निकला फ़्लैग मार्च
जिला मुख्यालय अनूपपुर में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी चंद्रमोहन ठाकुर और पुलिस अधीक्षक मांगीलाल सोलंकी के नेतृत्व में विशेष जवानों का फ्लैग मार्च निकाला गया। जो नगर के मुख्य मार्गो से गुजरते हुए अन्य वार्डो से कोतवाली थाना परिसर पहुंचा। इस दौरान कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने नगर की सुरक्षा व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। साथ ही 3 नवम्बर को होने वाले मतदान के प्रति मतदाताओं को भययुक्त वातावरण में मतदान की अपील की। इस मौके पर रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम कमलेश पुरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक राजन सहित एसएसबी के जवान स्थानीय पुलिस बल शामिल रहे।
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भालूमाड़ा कोयलांचल में दशहरे का पर्व बड़ा ही श्रद्धाभाव व उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। नौ दिनों तक माता की पूजन अर्चन के साथ उनके दर्शन लिए भक्तों की कतार कोरेाना गाइडलाइन अनुसार बनी रही। नवरात्र के अंतिम दिन माता की प्रमिताओं का विसर्जन नपा द्वारा तैयार कराए गए स्थायी कुंड में कराया गया। इस मौके पर नगरीय प्रशासन सहित पुलिस अधिकारियों ने अपनी मौजूदगी में प्रतिमाओं का विसर्जन स्थायी कुंड में कराया। वहीं विजयादशमी के मौके पर जमुना में रावण दहन किया गया।
बॉक्स: २० फीट उंचे रावण का हुआ दहन
राजनगर- दशहरा पर्व के मौके पर दशहरा पूजा समिति गोपाल पंडाल राजनगर द्वारा प्रतीकात्मक २० फीट उंचे रावण पुतला दहन किया गया। इसे देखने क्षेत्र के सैकड़ों संख्या में लोग पहुंचे। लेकिन आयोजकों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए दर्शकों को दूरी बनवाई। वहीं अधिक संख्या में भीड़ एकत्रित न हो प्रशासनिक अधिकारियों की निगरानी में शाम ७.३० बजे रावण दहन कर कार्यक्रम समाप्ती कर दी। विदित हो कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण शासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार नवरात्रि और रावण दहन के आदेश जारी किए गए थे। जिसमें कार्यक्रम के दौरान किसी अतिथि को शामिल नहंी किया गया था।
बॉक्स: शांतिपूर्ण माहौल में जला रावण का पुतला
राजेंद्रग्राम में भी विजयदशमी के उपलक्ष्य में रावण के पुतले का दहन शाम 7.३० बजे किया गया। नव दुर्गा उत्सव समिति राजेंद्रग्राम द्वारा २५ फीट उंचा रावण तैयार कराया गया था, दहन को लेकर प्रशासनिक अनुमति में सुरक्षा बल की निगरानी में कराया गया। जिसमें सैकडो की संख्या में ग्रामीणजन सम्मिलित हुए। विदित हो कि पिछले वर्ष रावण दहन को लेकर क्षेत्र में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसमें प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद आदिवासी समुदाय के समर्थकों व विरोधियों के बीच समन्वय स्थापित कर दहन का आयोजन कराया गया था।
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