अनूपपुर। कोतमा जनपद अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत बहेरा बांध का नाम यहां स्थित बहेरा पेड़ के नाम पर पड़ा है। पूर्व में इस गांव में एक ऐसा बहेरा का पेड़ था, जिसमें कभी फल नहीं लगते थे। जिस वजह से इस पेड़ को ग्रामीणों द्वारा बहेरा अर्थात बांझ कहा जाने लगा। और धीरे-धीरे ग्रामीण उस पेड़ के नाम पर ही समीप स्थित जगह को भी पहचान देने लगे। ग्राम पंचायत बहेरा बांध अब भी इसी पेड़ के नाम से बहेराबांध जाना जाता है। वर्तमान में बहेराबांध पंचायत की 15 वार्डों में अ_ारह सौ की आबादी निवासरत है। स्थानी ग्रामीण तेजभान अहिरवार ने बताया कि पूर्व में यहां आबादी कम थी। लेकिन समय के साथ धीरे धीरे यहां आबादी बढ़ती चली गई और इस स्थल पर बसे गांव को बहेरा बांझ के रूप में स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा बुलाया जाने लगा। जिसके बाद धीरे-धीरे उच्चारण बदलते हुए इसे बहेरा बांध के रूप में पहचान मिली है।बॉक्स: आबादी बढऩे के साथ कट गए बहेरा के पेड़स्थानीय निवासी ४८ वर्षीय मोहन गुप्ता ने बताया कि पूर्व में गांव में हर्रा और बहेरा के वृक्ष बहुत संख्या में थे। लेकिन गांव की आबादी बढऩे के साथ ही धीरे-धीरे इन पेड़ों की कटाई किए जाने की वजह से अब कुछ ही पेड़ गांव में बचे हुए हैं। इसके फल बहुत ही पाचक होते हैं। जिसका उपयोग स्थानीय लोग पेट से संबंधित बीमारियों में उपयोग करते हैं।[typography_font:18pt;” >————————————————–