केवई रपटा पार करने नहीं लगेगी जान की बाजी, जिला प्रभारी मंत्री ने किया पुल का उद्घाटन
50 गांवों के लिए पुल पर आवाजाही हुई आम, अबतक आधा दर्जन लोगों की हो चुकी है मौत
केवई रपटा पार करने नहीं लगेगी जान की बाजी, जिला प्रभारी मंत्री ने किया पुल का उद्घाटन
अनूपपुर। कोतमा और जमुड़ी के बीच जमुड़ी रपटा पर वर्षो से की जा रही पुल की मांग शनिवार २९ जून को आम नागरिकों के लिए उपलब्ध हो गई। वर्ष २०१६ में मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण द्वारा पुल का निर्माण कार्य आरम्भ करवाया गया था। १८० मीटर लम्बी पुल को शनिवार की दोपहर एक बजे प्रदेश के खनिज एंव जिले के प्रभारी मंत्री प्रदीप जायसवाल द्वारा लोकार्पण किया गया। नवनिर्मित पुल की लागत 591. 29 करोड है जो 2 वर्ष से अधिक समय उपरांत तैयार हो सकी है। पुल के आम नागरिकों के लिए खोले जाने के उपरांत आसपास के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। लोगों का कहना था कि अब मानसून की बारिश के दौरान केवई रपटा को पार करने ग्रामीण जान की बाजी नहीं लगाएंगे। इससे कोतमा जमुड़ी के बीच बसे लगभग ५० से अधिक गांवों के लोगों को लाभ मिल सकेगा। पुल लोकापर्ण के अवसर पर जिला प्रभारी मंत्री ने कहा केवई रिवर ब्रिज के निर्माण होने से जनता को आवागमन करने में अब आसानी होगी, साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगो को लाभ मिलेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा लगातार जनता की सेवा एंव विकास में कार्य किए जा रहे हैं। आगामी दिनों बजट संत्र पास होने पर विकास की गति तेजी से बढेगी। प्रदेश मे बिजली सरप्लस है। लेकिन भाजपा के लोग खेल बिगाडऩे में लगे हैं, जिनका काम जनता को परेशान करना और कांग्रेस को बदनाम करना है। सरकार द्वारा लगातार अपने दिए वचनपत्र को पूरा करने में जुटी है। इस मौके पर पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह, कोतमा विधायक सुनील सराफ कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर, पुलिस अधीक्षक किरणलता केरकेट्टा, जयप्रकाश अग्रवाल, सांसद प्रतिनिधि बृजेश गौतम, अशोक त्रिपाठी, मनोज सराफ अंगा, मनोज सोनी सहित अनुविभाग क्षेत्र के समस्त अधिकारी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि कोतमा व आस-पास के क्षेत्रो को जोडऩे वाली केवई नदी रपटा नगरीय क्षेत्र सहित आमाडांड, खोड्री, राजनगर, जमुड़ी, उरा, मलगा, फुलकोना और आसपास के आधा सैकड़ा गांवों के ५० हजार की आबादी की आवाजाही का एक मात्र रास्ता है। जिसपर पुल निर्माण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष २००६ में घोषणा की थी। यहीं नहीं स्थानीय लोगों की मांग पर जिला योजना समिति में वर्ष २०१४ में उसे खतरनाक रपटा मानते हुए तत्काल उसके निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया था। इससे पूर्व वर्ष १९८५ के आसपास के गांव के लोगों को केवई नदी पार कराने के उददेश्य से पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा लगभग १५० मीटर लम्बी रपटा का निर्माण कराया गया था। लेकिन अब मानसून की चंद बारिश की बौछार में यह रपट उफान भर कर तीन माह तक लोगों की परेशानी का कारण बनता था।
बॉक्स: अबतक आधा दर्जन लोगों की हो चुकी है मौत
रपटा पर सुरक्षा के लिए रेलिंग नहंी होने के कारण बरसा के दौरान थोड़ी सी चूक लोगों को मौत के मुंह में खींच लेती थी। अबतक के आंकड़ों में रपटे पर उफान के दौरान आधा दर्जन लोग असामायिक मौत के शिकार बने हैं। इनमें वर्ष २०१० में ही तीन लोग दरिया में बह गए। इनमें २४ जुलाई २०१० को मंजू केवट पुरानी बस्ती बुढ़ार, ३० जुलाई नितेश उर्फ निन्नी टांडिया पुलिस कॉलोनी कोतमा, ७ नवम्बर ७ वर्षीय खेल्लु अहिरवार की मौत हो गई। जबकि अगस्त २०१३ में शिक्षक लक्ष्मण तिवारी बह गए। वर्ष २०१४ में वाहन सहित फिरदौस की मौत की बहकर हो गई, जिसका शव आजतक उनके परिजनों को नहीं मिल सका। इसके अलावा अन्य मौतें भी शामिल हैं।
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