scriptCorona: जिले में कोरोना का कहर, एक दिन में मिले रिकॉर्ड 122 पॉजिटिव | 122 positives found in a day | Patrika News
अशोकनगर

Corona: जिले में कोरोना का कहर, एक दिन में मिले रिकॉर्ड 122 पॉजिटिव

नहीं थम रहा संक्रमण: सोमवार को मिली जांच में रिपोर्ट में 29.68 फीसदी मिले पॉजिटिव, जिले में अब तक का सबसे तेज संक्रमण

अशोकनगरApr 12, 2021 / 11:17 pm

Manoj vishwakarma

Corona: जिले में कोरोना का कहर, एक दिन में मिले रिकॉर्ड 122 पॉजिटिव

Corona: जिले में कोरोना का कहर, एक दिन में मिले रिकॉर्ड 122 पॉजिटिव

अशोकनगर. कोरोना की दूसरी लहर जिले में सुनामी बनती नजर आ रही है। जहां एक दिन में आई 411 लोगों की जांच रिपोर्ट में 122 पॉजिटिव मिले हैं, यानी 29.68 फीसदी लोग संक्रमित मिले। जो अब तक का सबसे तेज संक्रमण है। रिपोर्ट से जिले में अफरातफरी मच गई।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सोमवार रात ग्वालियर से आई आरटीपीसीआर रिपोर्ट में 122 लोग संक्रमित मिले हैं। इससे एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर 347 हो गई है। जिले में अब तक 1565 कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं, इनमें से 1201 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। खास बात यह है कि पिछले साल सबसे ज्यादा 314 पॉजिटिव मरीज नवंबर माह में मिले थे, लेकिन अप्रैल माह के 12 दिन में ही जिले में 371 पॉजिटिव मिल चुके हैं। बढ़ते संक्रमण को देखकर अब लोगों को आशंका है कि यदि जिले में इसी तरह से संक्रमण जारी रहा तो अप्रैल माह में पॉजिटिवों की संख्या हजार तक पहुंचने की आशंका है।
सिविल सर्जन को किया होम आइसोलेट

कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एसएस छारी रविवार को अस्पताल के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर के साथ घूमते मिले थे। इससे स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन को होम आईसोलेट कर दिया है। सीएमएचओ के मुताबिक सिविल सर्जन के घर को कंटेनमेंट एरिया घोषित कर दिया गया है। साथ ही आरटीपीसीआर जांच के लिए उनका सैंपल भी लिया गया है।
पता और नंबर गलत, अब ढूंढने की चुनौती

सैंपलिंग के समय लोग पता और मोबाइल नंबर गलत दर्ज करा रहे हैं, इससे पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें ढूंढना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गया है। सीएमएचओ डॉ. हिमांशु शर्मा ने बताया कि रविवार तक आए पॉजिटिवों में से 25 ऐसे लोग मिले हैं, इनमें मोबाइल नंबर व पता गलत दर्ज है। इससे वह ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं, जिन्हें जगह-जगह तलाश करने के बाद भी जब वह नहीं मिले तो अब आशा कार्यकर्ता व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उन्हें ढूंढने की जिम्मेदारी सौंपी है।
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