जिसमें 9411 पुरुष मतदाता और 11 हजार 401 महिला मतदाताओं के नाम जिले में घटे हैं। वहीं पांच जनवरी को मतदाता सूची में महिला-पुरुष लिंगानुपात 88 2.18 था, जो अब घटकर 8 71.40 पर पहुंच गया है। जबकि 2011 की जनगणना अनुसार जिले की जनसंख्या का लिंगानुपात 900 था, लेकिन सात साल में मतदाता सूची में लिंगानुपात में अंतर स्थिति को भयावह बनाता नजर आ रहा है। हालांकि निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि 31 अगस्त तक दावे-आपत्तियां लिए जा रहे हैं और जिनके नाम गलत कटे हैं या जुड़ नहीं पाए, उनके नाम जोड़े और हटाए जाएंगे।
निर्वाचन सुपरवाईजर के मुताबिक जिलेभर में विशेष अभियानों के तहत कराए गए मतदाता सूची के सत्यापन के दौरान जिलेभर में करीब 27 हजार फर्जी मतदाता मिले थे, जिनमें कई के दो जगह नाम, कुछ मृत तो कुछ अन्य विधानसभाओं के मतदाता पाए गए थे। उन नामों को सूची से हटा दिया गया है।वहीं डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान करीब छह हजार नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं। इसी वजह से सात महीने में सूची से जिले में 208 12 मतदाता कम हो गए हैं।
भूपेंद्र गोयल, उप जिला निर्वाचन अधिकारी अशोकनगर
फर्जी मतदाताओं के नाम हटने और नए नाम जुडऩे के बाद जिले की तीनों विधानसभाओं में ही मतदाता लिंगानुपात घटा है, जिसमें सबसे ज्यादा अंतर मुंगावली विधानसभा में आया है। जहां सात महीने पहले 1000 पुरुषों के मुकाबले 8 72.91 महिला मतदाता थीं, लेकिन अब लिंगानुपात 8 58 .33 पर पहुंच गया है। इससे मुंगावली विस में 1000 पुरुषों के मुकाबले 14.58 महिला मतदाता और घट गई हैं। मतदाताओं के लिंगानुपात में इतना बड़ा अंतर महिलाओं की घटती संख्या को उजागर कर रहा है।
भूपेंद्र गोयल, उप जिला निर्वाचन अधिकारी अशोकनगर