ट्रेन से यूरिया का रैक आया तो सरकारी गोदाम पर शुक्रवार को सुबह छह बजे से हजारों किसानों की लंबी लाइन लग गई। इससे किसानों को पांच से छह घंटे तक लाइन में लगा रहना पड़ा तो कई किसानों ने यूरिया लेने के लिए महिलाओं को लाइन में लगा दिया। इससे महिलाओं को भी यूरिया के लिए परेशान होना पड़ रहा। वहीं बीमार और तबीयत खराब होने के बावजूद भी कई किसान घंटों लाइन में लगे रहे और लाइन में बैठकर अपनी बारी के इंतजार में आगे सरकते दिखे। इससे लाइनों में धक्कामुक्की की स्थिति बन गई। अव्यवस्थाएं देख किसानों ने नाराजगी जताई तो भीड़ बढ़ती देख कर्मचारियों ने पुलिस जवानों को बुला लिया। बाद में पुलिस कस्टडी में शहर की गोदाम पर यूरिया का वितरण हुआ। यह सिर्फ एक गोदाम की बात नहीं, बल्कि जिले की तीनों सरकारी गोदामों पर भीड़ की यही स्थिति है। वहीं किसानों का कहना है कि सिचाई के समय यूरिया का छिड़काव किया जाता है और यूरिया न मिल पाने से वह सिचाई के बाद छिड़काव नहीं कर पा रहे हैं।
किसानों का कहना है कि गोदाम पर रसीद बनवाने के लिए एक काउंटर है, इससे लंबी लाइन बन लग जाती है। इससे दो से तीन काउंटर बनाना चाहिए। ताकि आसानी से यूरिया मिल सके और किसानों को लाइनों में न लगना पड़े।
पिछले साल 2340 टन हुआ था वितरण विपणन कार्यालय के मुताबिक पिछले साल रबी सीजन में जिलेभर की तीनों सरकारी गोदामों से 2340 टन यूरिया का वितरण हुआ था। लेकिन इस बार गुरुवार शाम तक 396 2 टन यूरिया वितरित हो चुका है और जिले में 6 09 टन यूरिया शेष था। जिसका शुक्रवार को वितरण हुआ। इस हिसाब से पिछले साल की तुलना में इस बार 95 फीसदी ज्यादा यूरिया वितरित हो चुका है। पहले आधार कार्ड के आधार पर यूरिया बांटा जा रहा था, लेकिन डिमांड बढ़ती देख सरकारी गोदामों ने फिर से यूरिया के लिए जमीन की किताब अनिवार्य कर दी हैं। इससे शुक्रवार को जमीन की किताब देखने के बाद ही यूरिया बांटा गया।
इनका कहना है पिछले साल 2340 टन यूरिया रबी सीजन में बंटा था, इस बार जिले में 4571 टन बिक चुका है। जिले में पिछले साल चना का रकबा ज्यादा था, लेकिन इस बार गेहूं का रकबा बढ़ गया है। बढ़ती डिमांड को देखकर लगता है कि गेहूं के बढ़े हुए रकबे की वजह से ही यूरिया ज्यादा मात्रा में बिका है। जिले में यूरिया की रैक भी पहुंच चुकी है।
एमएस राजपूत, डीएमओ अशोकनगर