विधानसभा चुनाव में टिकिट न मिलने से नाराज होकर पूर्व विधायक राजकुमारसिंह ने बसपा के टिकिट पर चंदेरी से और मलकीतसिंह ने सपाक्स के टिकिट पर मुंगावली से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव में दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा। चुनाव बाद भाजपा ने दोनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। वहीं पूर्व विधायक जगन्नाथसिंह भी टिकिट न मिलने से पार्टी से नाराजगी जता चुके थे।
सांसद बोले पुरानी सरकार ने 22 हजार घोषणाएं कचरे में फैंकी-
प्रेस कॉन्फ्रेस में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की पुरानी सरकार ने अपनी 22 हजार घोषणाओं को कचरे के डिब्बे में फैंक दिया था, जबकि कांग्रेस की सरकार वचनपत्र का अक्षरश: पालन करने लगी है। यह अंतर है भाजपा-कांग्रेस में। साथ ही कहा कि भाजपा ने 70 साल के देश के इतिहास में या तो सांप्रदायिकता का चश्मा पहना है या धर्म के आधार पर काटने या बांटने का चश्मा पहना है। भाजपा नेताओं की हत्याओं के मामले के सवाल पर बोले कि हत्या, हत्या होती है,
बैठक में इन मुद्दों पर जताई नाराजगी-
– कांग्रेसियों ने कहा ज्यादा लाइट देने के चुनाव में वादे किए थे, लेकिन अब जनता गाली दे रही है। इस पर सांसद ने बिजली कंपनी के डीई पर नाराजगी जताई और कहा कि चाहे शहर हो या गांव, बिजली जानी नहीं चाहिए। क्या दिक्कत आ रही है यह आपकी परेशानी है।
– कांग्रेसियों ने शिकायत की कि सांसद निधि से जो टैंकर और प्रतीक्षालय बनवाए, उस पर चुनाव में कालिख पोत दी। इस पर सांसद ने जनपद सीईओ से कहा कि अब तक जो हुआ वह ठीक, अब ऐसा नहीं करोगे। कागज लगाईए, पर्दा लगा दीजिए आप कालिख पोत रहे हो।
– जिला योजना अधिकारी से कहा मेरे विकास कार्यों के 651 कामों के बोर्डों के फोटो चाहिए, मैने जो काम कराए हैं, उनके फोटो भेजिए। प्रधानमंत्री सड़कों को समयसीमा में पूर्ण कराने के निर्देश दिए।
इसलिए छोड़ी पार्टी, बोले तीनों नेता-
1. एक महीने किया इंतजार किसी ने नहीं मनाया-
पूर्व विधायक राजकुमारसिंह यादव ने कहा कि चुनाव में टिकिट न मिलने के बाद उन्होंने एक महीने तक इंतजार किया कि कहीं मंच पर बुलाकर समझाया जाए कि पार्टी को किसी कारणवश द्विवेदी को टिकिट देना पड़ा, हम उसमें भी संतुष्ट थे या यह कह देते कि सरकार आने के बाद कहीं सेट कर देंगे। लेकिन जब किसी ने कुछ नहीं कहा तो अपना मान-सम्मान बचाने और बजूद बनाने के लिए बसपा से चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा कार्यकर्ता ही चुनाव में बिक गए। इसलिए फिर कांग्रेस में शामिल हुए।
2. शैलेष बरुआ नहीं भडुआ कहिए-
पूर्व विधायक जगन्नाथसिंह रघुवंशी ने कहा कि 44 साल से काम कर रहा हूं, 2003 में कप्तानसिंह के सोलंकी की वजह से मुझे टिकिट मिला। फिर तीन बार टिकिट काटे गए। जिनकी जिंदगी निकल गई, उनकी जगह आयात करके चार दिन पहले लाए गए लाए लोगों को टिकिट दे दिए। ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा का बंटाढ़ार किया है तो वह प्रभात झा और शैलेष भडुआ ने, बोले बरुआ नहीं भडुआ कहिए।
पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीतसिंह संधु ने कहा कि भाजपा में कार्यकर्ता शादी के डिस्पोजलों की तरह फैंक दिए जाते हैं। उपचुनाव या आमचुनाव में हम सभी कार्यकर्ताओं को डिस्पोजल की तरह इस्तेमाल किया। झूठे मुख्यमंत्री (शिवराजसिंह) पर मुझे भरोसा था, हमारे साथ धोखा किया है, झूठा है और धोखेबाज है। सांसद सिंधिया ने हमे सम्मान दिया है।