हम बात कर रहे हैं राजघाट पर बांध के नीचे बने पुल की। जहां से रोजाना यात्री बसें, लोडिंग वाहन, भारी वाहन, जीप और बाइकों सहित रोजाना चार हजार से अधिक वाहन निकलते हैं। पिछले साल बारिश के मौसम में राजघाट बांध के सभी 16 गेट कई दिन तक खुले रहने से पानी के बहाव से यह पुल उखड़ गया था और पिछले दस महीने से पुल उखड़ा पड़ा है। पुल पर जगह-जगह सरिया निकले हुए हैं। लेकिन इसकी मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
बारिश में और क्षतिग्रस्त हो जाएगा पुल-
यदि समय रहते मरम्मत नहीं कराई गई तो पुल बारिश के मौसम में और क्षतिग्रस्त हो जाएगा। अतिरिक्त पानी राजघाट बांध से छोडऩे पर पुल डूब जाता है और तेज बहाव के साथ पुल से पानी निकलता है। इससे इस बार बांध के गेट खुलने से पुल के और क्षतिग्रस्त होने की आशंका बनी हुई है। इससे दोनों प्रदेशों के बीच वाहनों की आवाजाही रुक जाएगी।
राशि के लिए दो प्रदेशों के बीच अटकी मरम्मत-
राजघाट बांध दोनों प्रदेशों का है और इस पुल का आधा हिस्सा उप्र और आधा हिस्सा मप्र मेें बना हुआ है। इससे दोनों ही प्रदेशों से मिलने वाली राशि से इसकी मरम्मत होती है। इस बार दोनों ही प्रदेशों से राशि न मिलने से इस पुल का मरम्मत का कार्य अटका हुआ है। विभाग का कहना है कि राशि न मिलने से पांच माह से कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिला है, ऐसे में बिना राशि वह पुल की मरम्मत कैसे कराएं।
पुल नहीं पुल के ऊपर सड़क की पर्त उखड़ी है, जो बारिश के मौसम में उखड़ गई थी। पुल तो मजबूत है। बांध के लिए दोनों राज्यों से पैसा मिलता है, इस बार दोनों राज्यों से पैसा नहीं मिला। इससे अधिकारी-कर्मचारियों की पांच माह की वेतन नहीं मिल सकी है और बिना राशि के इस पुल की मरम्मत नहीं हो सकती।
वीएन शर्मा, एसडीओ बेतवा रिवर बोर्ड राजघाट