पत्रिका ने रविवार को जिला अस्पताल में मरीजों की भोजन व्यवस्था की हकीकत जानी, तो मरीजों को बिना किसी बर्तन हाथों में ही रोटी पकड़ाई गईं और उन्हीं रोटियों पर चावल व दाल रख दी गई। जिन मरीजों के पास बर्तन थे, उन्हें बर्तन में दाल दी गई। इससे मरीजों ने खाना खाने के लिए हाथों में पकड़ी हुई उन रोटियों व चावल को वार्ड में ही अपने पलंग पर नीचे रखा, तो किसी मरीज ने अपने घर से लाए गए शॉल व अन्य कपड़ों पर इन रोटियों को रखा और उस खाने को खाया। यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं, बल्कि जिला अस्पताल में रोजाना इसी तरह से मरीजों को खाना मिलता है और गंदे गद्दों व कपड़ों पर खाना रखने से खाना इन्फेक्टेड होने की आशंका रहती है।
भोजन के लिए घरों से लाना पड़ते हैं बर्तन-
जिला अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को भोजन करने के लिए अपने घरों से बर्तन लाना पड़ते हैं। जिन मरीजों के पास बर्तन होते हैं, उन्हें तो अस्पताल में बर्तनों में खाना दिया जाता है। लेकिन जिन मरीजों के पास बर्तन नहीं रहते हैं, उन्हें खाना बर्तनों की वजाय हाथों में ही पकड़ा दिया जाता है। वहीं उन्हें इन रोटियों और चावल-दाल को रखने के लिए किसी तरह का कागज तक नहीं दिया जाता है। इससे मरीज अपने गंदे गद्दों पर ही रोटियां रखे दिखते हैं। जबकि डॉक्टर सलाह देते हैं कि यदि खाने को साफ जगह पर नहीं रखा तो खाना इन्फेक्टेड हो जाता है और इससे लोगों के बीमार होने की आशंका रहती है।
यदि हाथों में खाना दिया जा रहा है तो मैं रसोईयों से बात करूंगा और कल से ही बर्तनों में खाना मिलना शुरू हो जाएगा। रोगी कल्याण समिति सभी व्यवस्था करती है और कल से मरीजों को बर्तनों में ही खाना उपलब्ध कराया जाएगा।
डॉ.एसएस छारी, सिविल सर्जन जिला अस्पताल अशोकनगर