शहर से सटे पड़रिया गांव की आंगनवाड़ी का भवन जर्जर है। जिसे प्राथमिक विद्यालय के बरामदे में संचालित किया जा रहा है। जबकि इसी बरामदे में से स्कूल के बच्चों का कक्षों में आने.जाने का रास्ता है।
इसलिए बरामदे से बच्चे निकलते रहते हैं। वहीं स्कूल और आंगनवाड़ी परिसर में पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इससे सड़क पार लगे हैण्डपंप से आंगनवाड़ी में पीने का पानी लाना पड़ता हैए तो वहीं स्कूली बच्चों को पानी पीने के लिए सड़क पार कर हैण्डपंप पर जाना पड़ता है।
यहां प्राईवेट भवन में आंगनवाड़ीए पेयजल भी नहीं.
वहीं शहर के यादव कॉलोनी में आंगनवाड़ी पहले तो सामुदायिक भवन में लगती थीए लेकिन सामुदायिक भवन में कुछ परिवार रहने लगे हैंए इससे अब आंगनवाड़ी प्राईवेट भवन में संचालित हा रही है। प्राईवेट भवन में संचालित आंगनवाड़ी भवन में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं हैए इसलिए आंगनवाड़ी पर बच्चों के लिए बाहर से पानी की व्यवस्था करना पड़ती है। यह सिर्फ एक या दो आंगनवाड़ी भवन नहींए बल्कि जिले के ज्यादातर आंगनवाडिय़ों में पेयजल की व्यवस्था नहीं है।
वहीं शहर के यादव कॉलोनी में आंगनवाड़ी पहले तो सामुदायिक भवन में लगती थीए लेकिन सामुदायिक भवन में कुछ परिवार रहने लगे हैंए इससे अब आंगनवाड़ी प्राईवेट भवन में संचालित हा रही है। प्राईवेट भवन में संचालित आंगनवाड़ी भवन में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं हैए इसलिए आंगनवाड़ी पर बच्चों के लिए बाहर से पानी की व्यवस्था करना पड़ती है। यह सिर्फ एक या दो आंगनवाड़ी भवन नहींए बल्कि जिले के ज्यादातर आंगनवाडिय़ों में पेयजल की व्यवस्था नहीं है।