पिछले दो सालों में समर्थन मूल्य पर की गई खरीदी और जमा में जिन केंद्रों पर 0.25 प्रतिशत का अंतर आया था, उन केंद्रों को शासन ने इस बार खरीदी में शामिल न करने के निर्देश दिए थे। इससे जिले में मात्र 6 केंद्र ही इस दायरे से बाहर पाए गए थे और नई समितियों के 10 केंद्र बनाकर जिले में 16 खरीदी केंद्र बनाए गए थे। लेकिन पंजीयन के लिए किसानों की परेशानी को देखकर शासन ने खरीदी केंद्रों की संख्या को बढ़ा दिया है और पिछले साल की तरह इस बार भी 41 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। जबकि पोर्टल पर जिले को सिर्फ 35 केंद्र ही स्वीकृत हैं, इससे 35 केंद्रों का पंजीयन हो जाने के बाद अब पोर्टल शेष छह केंद्रों को पंजीकृत करने से इंकार कर रहा है। विभाग के कर्मचारियों की मानें तो 36वे केंद्र का पंजीयन करने का प्रयास करते ही पोर्टल 35 केंद्रों की सीमा बताकर ज्यादा को स्वीकार नहीं कर रहा है।
नतीजतन गांवों की मैपिंग भी नहीं हो पा रही है-
गेहूं खरीदी के लिए कौन से गांवों को किन केंद्रों पर जोड़ा जाना है, इसके लिए खरीदी केंद्रों से गांवों की मैपिंग की जाती है। तभी किसानों के उस केंद्र पर पंजीयन हो पाते हैं, लेकिन शेष केंद्र पोर्टल पर फीड न हो पाने से गांवों की सही तरीके से मैपिंग भी नहीं हो पा रही है। इससे किसानों को पंजीयन के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
अब किसान 9 मार्च तक करा सकेंगे पंजीयन-
पहले शासन ने गेहूं के पंजीयनों की अंतिम तारीख 23 फरवरी निर्धारित की थी, लेकिन केंद्रों की कम संख्या और पंजीयन भी कम संख्या में हो पाने की वजह से शासन ने अंतिम तारीख को बढ़ाकर 9 मार्च कर दिया है। इससे अब गेहूं बेचने के लिए किसान 9 मार्च तक अपने पंजीयन करा सकेंगे। विभाग के मुताबिक जिले में अब 3082 किसानों के ही पंजीयन हो पाए हैं और अब तारीख बढऩे से पंजीकृत किसानों की संख्या बढ़ जाएगी।
पहले गेहूं खरीदी के लिए 16 केंद्र बनाए गए थे, लेकिन अब खरीदी केंद्रों की संख्या को बढ़ाकर 41 कर दिया है। वहीं गेहूं का पंजीयन कराने की अंतिम तारीख भी बढ़कर 9 मार्च हो गई है।
एसएस चौहान, जिला आपूर्ति अधिकारी अशोकनगर