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ऐसी गर्मी में 10 दिन से नहीं मिला नहाने को पानी, समस्या बताने पर कह रहे घर चले जाओ

locationअशोकनगरPublished: Jun 12, 2019 02:04:16 pm

Submitted by:

Arvind jain

सरकारी छात्रावासों के हाल: छात्राओं के छात्रावास में नहीं पानी, छात्रों को तीन साल में भी नहीं मिला रास्ता।- कॉलेज के छात्रों के लिए तीन साल पहले तीन करोड़ में बनाया छात्रावास, लेकिन रास्ता बनाना भूले जिम्मेदार तो खेतों में से निकलने हैं मजबूर। – छात्र-छात्राओं ने कलेक्ट्रेट में पहुंचकर की शिकायत, समस्याओं पर जताई नाराजगी। जिम्मेदार नहीं दे रहे हैं कोई ध्यान।

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ऐसी गर्मी में 10 दिन से नहीं मिला नहाने को पानी, समस्या बताने पर कह रहे घर चले जाओ

अशोकनगर. जिले में छात्रावास अनदेखी का शिकार हैं और इनमें रहने वाले छात्र-छात्राएं समस्याओं से जूझते हुए रहने को मजबूर हैं। हालत यह है कि छात्राओं के छात्रावास में 10 दिन से टैंकर नहीं पहुंचा, तो छात्राओं को इस भीषण गर्मी में नहाने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है। वहीं तीन साल पहले तीन करोड़ रुपए की लागत से छात्रों को रहने के लिए बने छात्रावास में जिम्मेदार रास्ता बनाना भूल गए। नतीजतन छात्रों को आधा किमी की दूरी तक खेतों में से निकलकर छात्रावास पहुंचना पड़ता है। अब छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि बारिश से पहले सड़क नहीं बनी तो आंदोलन किया जाएगा।


पहला मामला पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक विभाग के कन्या छात्रावास का है। 50 सीटर इस छात्रावास में कॉलेज में पढऩे वाली छात्राएं रहती हैं। जलस्तर घट जाने से छात्रावास के ट्यूबवेल में बहुत कम पानी निकलता है, इससे पीने का पानी ही मिल पाता है। वहीं नहाने, कपड़े धोने या अन्य कामों के लिए छात्रावास में पानी उपलब्ध नहीं है।

मंगलवार को गुस्साई हुईं छात्राएं कलेक्ट्रेट पहुंचीं और जनसुनवाई में अधिकारियों को समस्या बताई। साथ ही कहा कि 10 दिन से टैंकर न आने से उन्हें नहाने के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है और समस्या बताने पर कह दिया जाता है कि घर चले जाओ या पानी खरीदकर मंगा लो। इतना ही नहीं कॉलेज में परीक्षा चल रही है और भीषण गर्मी के दौरान छात्रावास के पंखे भी नहीं चल रहे हैं। इससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

यहां खेतों से निकलकर छात्रावास पहुंचते हैं छात्र-
दूसरा मामला पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास का है। शहर से करीब दो किमी दूर तीन साल पहले तीन करोड़ रुपए की लागत से बने इस 100 सीटर छात्रावास में जिम्मेदार रास्ता बनाना ही भूल गए। पॉलीटेक्निक कॉलेज में पढऩे वाले पन्ना, सतना, रीवा, सिंगरौली, धार और बालाघाट जिले के छात्रों के अलावा शहर के नेहरू स्नातकोत्तर के छात्र भी इसमें रहते हैं। लेकिन रास्ता न होने की वजह से छात्रों को आधा किमी खेतों में से चलना पड़ता है, जब वह छात्रावास पहुंच पाते हैं। लेकिन कई बार शिकायतों के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।

छात्र बोले किसान ने कर दी जुताई, अब कैसे निकलेंगे-
मंगलवार को पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास के छात्र कलेक्ट्रेट पहुंचे और रास्ते की समस्या पर नाराजगी जताई। छात्रों ने कहा कि खेतों में बने जिस कच्चे रास्ते से होकर वह निकलते थे। उन खेतों की किसानों ने जुताई कर दी है, इससे अब बारिश के मौसम में कीचड़ हो जाएगी और उन्हें कीचड़ में से ही होकर निकलना पड़ेगा। छात्रों ने मांग की है कि यदि बारिश शुरू होने से पहले तक उनका रास्ता तैयार नहीं हुआ तो वह आंदोलन करेंगे।

कई शिकायतों के बाद भी नहीं ध्यान-
छात्र-छात्राओं का कहना है कि वह अपने छात्रावासों में मौजूद समस्याओं की कई बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी समस्या पर कार्रवाई होना तो दूर कोई सुनवाई नहीं हुई। छात्रों का आरोप है कि जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते उन्हें छात्रावासों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


कन्या छात्रावास में जलस्तर घटने से ट्यूबवेल सूख गया था, दूसरा ट्यूबवेल लगवाया तो उसमें पानी घट गया है। हमने नपा को पत्र लिखकर टेंकरों से पानी की मांग की है और कहा है कि प्रतिदिन नहीं दे पा रहे तो दो दिन में एक टैंकर पानी दे दो। जहां तक पंखे खराब होने की बात है तो पंखों के कंडेंशर खराब हो जाने से समस्या बनी। जिन्हें मैं कल ही सुधरवाऊंगा। वहीं बालक छात्रावास में रास्ते की समस्या है और हमने सीमांकन कराया है। सड़क के लिए जिला पंचायत ने आरईएस को पत्र लिखा है।
शिवप्रताप रघुवंशी, सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक विभाग अशोकनगर

 

छात्रों की शिकायत पर हमने टीम भेजी है, 20 फिट का सरकारी रास्ता है और दोनों तरफ खेत हैं। कल मैं खुद भी मौके पर जाकर समस्या का निराकरण कराऊंगा, लेकिन उनकी मांग रास्ते के डामरीकरण की है।
इसरार खान, तहसीलदार अशोकनगर

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