हिंदू उत्सव समिति द्वारा यहां पर 14 फिट ऊंची होली जलाई जाएगी। जिसमें आठ फिट ऊंची होली पर छह फिट की होलिका ढ़ाई फिट के प्रहलाद को लेकर बैठेगी। समिति के अजय शर्मा ने बताया कि रात को 10 बजे गांधी पार्क पर होलिका दहन होगा। साथ ही होलिका के साथ आतंकवाद को पुतला भी जलाया जाएगा। इसके अलावा शहर में अन्य स्थानों पर भी होलिका दहन किया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
होलिका दहन में जिले की अजग-गजब परंपराएं-
1. गोबर से बनाते हैं चंदा-सूरज, सेंककर रखते हैं छत पर-
होली जलाने के लिए घरों पर महिलाओं द्वारा शुद्ध गोबर के छोटे-छोटे कंड़े बनाकर उन्हें धागे में बांधा जजाता है। साथ ही गाय के शुद्ध गोबर से चंदा-सूरज भी बनाए जाते हैं। होली जलाने के बाद उसी आग में इन गोबर के चंदा-सूरज को सैंका जाता है और फिर फैंककर चंदा-सूरज को घरों की छत पर रख दिया जाता है। लोगों का मानना है कि इससे परिवार की समस्याएं खत्म होती हैं।
2. होली की आग से जलाते हैं खुद के शरीर के हिस्से-
ग्रामीण क्षेत्र में होलिका दहन के दौरान जलती हुई होली की आग की लकड़ी या कंडे को उठाकर महिला-पुरुष अपने शरीर को दाग लेते हैं। जहां यह दाग लगता है, शरीर के उस हिस्से की त्वचा जल जाती है और निशान भी बन जाते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि होली की आग से शरीर में दाग लगा लेने से बीमारियां खत्म हो जाती हैं और सालभर वह बड़ी बीमारियों की चपेट में आने से बच जाते हैं।
रात 8:16 बजे से होलिका दहन का मुहुर्त-
संस्कृत विद्यालय मल्हारगढ़ के आचार्य पंडित विश्वनाथ पुरोहित के मुताबिक बुधवार रात को 8:16 बजे भद्राकाल समाप्त हो जाएगा और भद्राकाल समाप्त होते ही होलिका दहन का मुहुर्त शुरू हो जाएगा। साथ ही रात को पौने दस बजे तक होलिका दहन का मुहुर्त रहेगा। उनका कहना है कि इस बीच में ही होलिका दहन करना शुरू करेगा।
होलिका दहन के लिए डामर की सड़क पर नपा डालेगी मिट्टी-
शहर में मुख्य सड़कों पर भी होलिका दहन के कार्यक्रम होते हैं। सीएमओ शमशाद पठान का कहना है कि शहर में जहां-जहां डामर की सड़क पर होलिका दहन होता है, उन जगहों पर पहले मिट्टी डाल दी जाएगी। ताकि उस मिट्टी पर होलिका दहन हो सके और सड़क भी सुरक्षित रहें। इसके लिए ऐसे स्पॉट चिन्हित किए जा रहे हैं।