मदऊखेड़ी घाट पर बेतवा नदी के बीचों बीच वोट मशीन डालकर रेत निकालने का कारोबार चल रहा है। वोट में लगे पाइपों से रेत को बाहर घाट पर फैंका जाता है और फिर एलएंडटी व जेसीबी मशीनों से इस रेत का ढ़ेर लगाया जा रहा है। वहीं तुरंत ही ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर रेत के अवैध परिवहन का कारोबार भी चल रहा है। बेतवा नदी में यह सिर्फ एक जगह की बात नहीं, बल्कि मल्हारगढ़ से लेकर मदऊखेड़ी तक बेतवा नदी में अब रेत उत्खनन के 14 स्पॉट बन गए हैं। जहां से रोजाना 250 डंपर से अधिक रेत निकाली जा रही है। जिसका डंपरों और ट्रैक्टर-ट्रालियों से मुख्य सड़कों से ही दिन दहाड़े परिवहन का काम भी चलता है। इसके अलावा अवैध उत्खनन के इन स्पॉटों पर भी करीब चार दर्जन से अधिक स्थानों पर रेत के बढ़े-बढ़े ढ़ेर भी लगे हुए हैं। स्वीकृत रेत खदानों पर भी वोट मशीन का इस्तेमाल प्रतिबंधित है, फिर भी इन अवैध स्पॉटों पर धड़ल्ले से वोट मशीन चलाई जा रही हैं। फिर भी यह अवैध उत्खनन न तो खनिज विभाग के अधिकारियों को दिख रहा है और न हीं प्रशासनिक अधिकारी कोई गंभीरता दिखा रहे हैं। नतीजतन जिले में अवैध उत्खनन की होड़ शुरू हो गई है और जिसे जहां भी जगह मिल रही है, वह वहीं पर अवैध उत्खनन का कारोबार शुरू कर देता है।
हर महीने 11.25 करोड़ रुपए का अवैध कारोबार जिले में चल रहे इन 14 स्पॉटों से रोजाना 250 डंपर रेत निकाली जा रही है। यदि रेत के कारोबार पर नजर डालें, तो इस कारोबार में कमाई का आंकड़ा करोड़ों में पहुंचता है। बाजार में एक डंपर रेत 15 हजार रुपए में बेची जाती है, इस हिसाब से रोजाना 250 डंपर रेत की कीमत 37.50 लाख रुपए बनती है। मतलब एक महीने में 11.25 करोड़ रुपए की रेत निकाली जाती है। जबकि कई स्पॉटों पर तो करीब 10 से 11 महीने से रेत के अवैध उत्खनन का कारोबार चल रहा है। यदि शासन इन्हें लीज पर देता या फिर राजस्व वसूलता तो शासन को करोड़ों रुपए मिलते, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की मेहरबानी जहां शासन को तो करोड़ों रुपए का चूना लगा ही रही है, वहीं उत्खननकारी करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं।
अन्य जगहों पर भी चल रहा है कारोबार- जिले में सिर्फ रेत का कारोबार सिर्फ बेतवा नदी में ही नहीं, बल्कि जिले की सिंध, ओर और कैंथन नदी में भी चल रहा है। इसके अलावा अन्य छोटी नदियों से भी रोजाना रेत निकाली जा रही है। वहीं रेत के अलावा पत्थर, मुरम और कोपरा के अवैध उत्खनन का कारोबार भी बड़े स्तर पर चल रहा है। लेकिन अब तक प्रशासन कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं कर सकी है। नतीजतन मुरम के अवैध उत्खनन से पहाडिय़ां समतल मैदानों में तब्दील हो चुकी हैं और समतल मैदानों गहरी खाईयों में। वहीं पत्थर के खनन के लिए कई जगहों पर गहरी खाई बनकर लोगों की परेशानी बन रही है। मुरम, कोपरा और पत्थर के अवैध उत्खनन का प्रमाण जिले की हजारों जगहों पर बन रही खाईयां खुद ही बयां कर रही हैं।
ये बोले जिम्मेदार हम समय-समय पर कार्रवाई कराते हैं, बेतवा नदी पर चल रहे इस अवैध खनन पर कार्रवाई के लिए एसडीएम को निर्देश दिए हैं। वहीं अन्य जगहों पर भी अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.मंजू शर्मा, कलेक्टर अशोकनगर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करवाई जाएगी, जहां भी हमें जानकारी मिल रही है, वहां पर कार्रवाई करवाई जाएगी और किसी को भी बख्शा जाएगा। पुलिस थानों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं और जिसके क्षेत्र में शिकायत मिलेगी, उसे भी थाने से हटा दिया जाएगा।
पंकज कुमावत, एसपी अशोकनगर