जिले में पिछले वर्ष 1.35 लाख हेक्टेयर में गेंहू था, जो इस बार 20 हेक्टेयर बड़कर 1.55 लाख हेक्टेयर हो गया है। इतना ही नहीं पिछले बार 41 खरीदी केंद्र थे, लेकिन इस बार सिर्फ 16 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन इन सभी 16 केंद्रों पर भी पंजीयन शुरू नहीं हो सके हैं, इससे किसान पंजीयन कराने के लिए भटक रहे हैं। लेकिन जानकारी होने के बाबजूद भी न तो किसानों की इस समस्या पर जिम्मेदार विभाग ध्यान दे रहा है और न हीं प्रशासन। नतीजतन किसान समर्थन मूल्य पर अपना गेंहू बेचने के लिए पंजीयन कराने भटक रहे हैं।
कारण: शासन के नियम बने अडंग़ा
खाद्य विभाग के मुताबिक इस बार 20 हजार की आबादी पर एक खरीदी केंद्र बनना था। इससे जिले में 42 केंद्र बनना थे, लेकिन परमीशन सिर्फ 35 केंद्रों की मिली। वहीं पिछले दो साल की खरीदी में जमा खरीद में 0.25 फ ीसदी के अंतर वाली समितियों को भी छोडऩा था, इससे पुरानी सिर्फ 6 समितियां ही शेष बचीं है इसके अलावा दो समितियां और बढ़ा दी गई है। जिनमें 8 नई समितियां जोड़कर 1६ केंद्र बनाए गए हैं। विभाग ने केन्द्र बढ़ानेके उद्देश्य से जमा खरीद में दो से तीन फीसदी तक अंतर वाली कम डिफाल्टर समितियों के नाम पर मार्गदर्शन मांगा है। अभी 35 समितियां डिफाल्टर है।
हकीकत: सम्भव नहीं 12 दिन में सभी के पंजीयन
16 में से जिले में आठ समितियों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। छह समितियों ने खरीदी केंद्र बनाने रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया। रजिस्ट्रेशन के लिए केंद्रों के कोड जनरेट होंगे और फि र गांवों की मैपिंग होगी। जबकि किसानों के पंजीयन करने के लिए सिर्फ 12 दिन शेष बचे हैं और 23 फ रबरी तक ही पंजीयन होना है। इससे गेंहू बेचने वाले सभी किसानों के पंजीयन सम्भव नहीं हैं। नतीजतन इस बार गेंहू की खरीद भी उड़द की खरीद की तरह नाममात्र की ही होगी।
खास-खास
गेंहू का रकबा- 1.55 लाख हेक्टेयर
खरीदी केंद्र- 16
जिले में गांव- 900
जिले में किसान-1.54 लाख
पंजीकृत किसान- 12
शासन के नियमानुसार खरीदी केंद्र बने हैं, केंद्र संख्या बढ़वाने का प्रस्ताव भेजा है। किसानों के पंजीयन करने के लिए सभी केंद्रों को निर्देश जारी किए गए हैं। यदि पंजीयन नहीं हो रहे तो केंद्र संचालको से बात की जाएगी।
एसएस चौहान, जिला आपूर्ति अधिकारी अशोकनगर