scriptनक्शा बना शहर को ‘स्मार्ट’ बनाने में रोड़ा | Made a map to make the city 'smart' | Patrika News
अशोकनगर

नक्शा बना शहर को ‘स्मार्ट’ बनाने में रोड़ा

शहर को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने जल्दी ही कार्य शुरू होने वाले हैं और इसके लिए कई कार्यों के टेंडर भी हो चुके हैं।

अशोकनगरApr 05, 2018 / 11:49 am

Praveen tamrakar

Mungawali Officers

Mungawali Officers inspecting Bhujaria pond for beautification.

अशोकनगर/मुंगावली. शहर को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने जल्दी ही कार्य शुरू होने वाले हैं और इसके लिए कई कार्यों के टेंडर भी हो चुके हैं। कार्य स्थलों की हकीकत जानने के लिए एसडीएम रवीश श्रीवास्तव, एसडीओपी अमरनाथ वर्मा, थाना प्रभारी कुशलसिंह भदौरिया ने सीएमओ सतीश मटसेनिया के साथ निरीक्षण किया। हालांकि नक्शा शहर को स्मार्ट सिटी बनाने में बाधा बन सकता है, क्योंकि नक्शा न होने से सीमांकन नहीं हो पा रहे हैं।

अधिकारी सबसे पहले शहर के जेल तालाब और भुजरिया तालाब पहुंचे, जहां पर सीएमओ ने उन्हें पार्क निर्माण के लिए प्रस्तावित जगह दिखाई और बताया कि लोगों को टहलने के लिए इसमें रैंप भी तैयार किए जाना है। इसके बाद अधिकारियों ने पुरानी मंडी और ट्रेंचिंग ग्राउंड भ्रमण कर वहां की जमीन का आंकलन किया। सीएमओ ने बताया कि मिनी स्मार्ट सिटी के तहत दोनों तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जाना है और इसके टेंडर भी हो चुके हैं, लेकिन राजस्व विभाग ने अब तक इन तालाबों का सीमांकन भी नहीं किया है। इससे निर्माण प्रारंभ नहीं हो पा रहा है। सीमांकन हो जाने के बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का कार्य शुरू हो सकेगा।

नक्शा बनने के बाद ही होगा सीमांकन
जहां अधिकारी कार्य स्थलों का निरीक्षण कर मिनी स्मार्ट सिटी के कार्य चालू कराने की बात कह रहे हैं, लेकिन नक्शा इनमें बाधा बनता नजर आ रहा है। तालाबों के सीमांकन के बारे में तहसीलदार नीना गौर का कहना है कि नगर परिषद से सीमांकन के लिए कोई पत्र नहीं आया। लेकिन तालाबों का सीमांकन नक्शा बनने के बाद ही हो पाएगा, अभी नक्शा नहीं है जो ग्वालियर बनने गया है। वहीं नगर परिषद के पास भी अपना नक्शा नहीं है, इसलिए ग्वालियर से नक्शा बनकर आने के बाद सीमांकन हो सकेगा।

फिर अब तक कैसे होते रहे सीमांकन
करीब 20 साल से शहर का नक्शा जीर्ण-शीर्ण हालत में है। तब से अधिकारियों का एक ही जबाव रहता है कि शहर का नक्शा नहीं है, ग्वालियर बनने गया है। लेकिन 20 साल में अब तक नक्शा बनकर नहीं आया। बड़ा सवाल यह है कि फिर निजी सीमांकन किस आधार पर होते रहे, क्योंकि हर साल ही शहर में कई सीमांकन होते हैं। मुंगावली का नक्शा न होने का जबाव सरकारी कार्यों और गरीब लोगों के सीमांकन में रोड़ा बन जाता है, जबकि अन्य लोगों के सीमांकन आसानी से कर दिए जाते हैं।
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