महिला एवं बाल विकास विभाग के सर्वे में यह खुलासा हुआ। विभाग की सुपरवाईजरों ने बताया कि विभाग ने शहर की 11 से 18 साल की उम्र तक की शाला त्यागी बालिकाओं को तलाशा तो इस उम्र की 120 शाला त्यागी बालिकाएं मिलीं। जिन्हें सोमवार को सुबह एकत्रित करके खून की कमी और स्वच्छता का प्रशिक्षण दिया, साथ ही आयरन टेबलेट और सेनेटरी नेपकिन की जानकारी दी। इसके अलावा इन बालिकाओं को कलेक्ट्रेट स्थित ऑफिसों का भ्रमण कराया गया और विभागों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान सुपरवाईजर ममता शर्मा और रीना रघुवंशी मौजूद रहीं। जिन्होंने बताया कि शहर के गोराघाट में ही 38 बालिकाएं पढ़ाई छोड़ चुकी हैं।
कोई घर के काम में हाथ बंटा रही तो भाई-बहिन संभाल रही-
कलेक्ट्रेट में आई इन बालिकाओं से जब मीडिया ने बात की, तो एक बालिका ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है और पिता ने स्कूल जाने से मना कर दिया है, इसलिए पांचबी के बाद पढ़ाई छोड़ दी, अब घर के काम में मां का हाथ बंटाती है। वहीं गोराघाट निवासी छठवी तक पढ़ी बालिका ने कहा कि इस साल से पढ़ाई छोड़ दी है, घर वालों ने स्कूल जाने से रोक दिया है, घर पर छोटे भाई बहिनों को देखना पड़ता है। वहीं एक बालिका ने कहा कि घर में पैसों की तंगी के चलते दो साल पहले पढ़ाई छोडऩा पड़ी। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर बालिकाओं को बीच में पढ़ाई छोडऩे का मलाल है।