चंदेरी तहसील के मोहरी मनहारी निवासी किसान शिशुपालसिंह यादव ने पिछले वर्ष भावांतर योजना में अपनी उपज बेची थी। बेची गई फसल की योजना के पोर्टल पर पांच दिसंबर 2017 को एंट्री हो भी हो गई, लेकिन एक लाख 79 हजार 737 रुपए की भावांतर राशि के भुगतान के लिए अधिकारी किसान को तो चार महीने तक खाते में गड़बड़ी होने की वजह से भुगतान न होना बताते रहे।
जबकि हकीकत में एक मार्च को किसान की यह भावांतर राशि आरके नगर तालुक मैसूर के अजमथ उल्ला खान के खाते में पहुंचा दी। कृषि विभाग ने सितंबर महीने में किसान को राशि दूसरे खाते में पहुंचने की जानकारी दी। इससे किसान कई बार जनसुनवाई में कलेक्टर से शिकायत कर चुका है और कई बार लीड बैंक मैनेजर व कृषि विभाग से कर चुका है। वहीं कृषि उपसंचालक भी गलत खाते में भुगतान हुई राशि को वापस मंगाने के लिए एसबीआई का पत्र लिखकर मांग कर चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।
तुरंत बताते तो लग सकता था खाते पर होल्ड-
किसान और बैंक अधिकारियों का कहना है कि यदि कृषि विभाग मामले को छिपाने की वजाय तुरंत ही गलत खाते में राशि पहुंचने की बात कहता तो उसी समय मैसूर के अजमथ उल्ला खान के खाते पर होल्ड लग सकता था। इससे वह खाते से राशि नहीं निकाल पाता और किसान को उसकी राशि वापस मिल सकती थी। लेकिन मामले में कृषि विभाग की लापरवाही का खामियाजा किसान को भुगतना पड़ रहा है।
बैंक और कृषि विभाग को किसान ने भिजवाए नोटिस-
भावांतर राशि दूसरे व्यक्ति के खाते में पहुंचाने और अब तक किसान को उस राशि का भुगतान न होने के मामले में अब किसान न्यायालय पहुंचने की तैयारी कर रहा है। किसान शिशुपालसिंह यादव ने कहा कि उसकी 1.79 लाख रुपए की राशि नहीं मिली, इससे उसने बैंक और कृषि विभाग को वकील के माध्यम से नोटिस भिजवाए हैं और जल्दी ही वह न्यायालय में अपील लगाकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग करेगा।