ऐसे में पिछले साल से ढ़ाई गुना पंजीयन हो जाने से भंडारण के लिए जगह की कमी समस्या बनेगी। लेकिन इस पर जिम्मेदारों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिले में इस बार 32 हजार 129 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपनी फसलें बेचने के लिए पंजीयन कराए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 28 हजार 292 किसानों ने गेहूं का पंजीयन कराया है, जो पिछले साल की तुलना में ढ़ाई गुना है। लेकिन इस बार चना, मसूर के पंजीयनों की संख्या घट गई है। पिछले साल करीब 40 हजार किसानों ने चना का पंजीयन कराया था, लेकिन इस बार चना के 17 हजार 6 70 पंजीयन ही हो सके, वहीं मसूर के भी 3237 किसानों के पंजीयन हुए और सरसों के 2717 पंजीयन हुए हैं। इसका कारण विभाग के अधिकारी गेहंू के बढ़े हुए रकबे को बता रहे हैं, तो वहीं चना-मसूर के पंजीयन कम रहने का कारण किसानों द्वारा पिछले साल समय पर भुगतान न मिलना बता रहे हैं।
फसल गलत दर्ज होने से हुए गेहूं के पंजीयन किसानों का कहना है कि पंजीयन के उपार्जन पोर्टल से इस बार गिरदावरी को जोड़ दिया गया है। पटवारियों द्वारा किसानों की बोई गई फसलों की जानकारी दर्ज की तो वही फसल पंजीयन में दर्ज हो गई। किसानों ने पहले भी आरोप लगाया था कि वह चना, मसूर का पंजीयन करा रहे हैं, लेकिन पंजीयन गेहूं का हो जाता है। संख्या बढऩे का कारण इस गड़बड़ी को भी बताया जा रहा है। इसी समस्या के लिए अशोकनगर तहसील के करीब 324 किसानों ने शिकायतें की थीं, जिन्हें तहसीलदार द्वारा सुधरवाया गया है।
भंडारण के लिए नहीं पर्याप्त जगह जहां पिछले वर्षों में गेहूं के कम पंजीयन होते थे, फिर भी जिले में भंडारण के लिए गोदामों में जगह कम पड़ जाती थी। इससे पिछले सालों में खुले जगहों पर अनाज को रखना पड़ता था। लेकिन इस बार पंजीयन पिछले साल से ज्यादा हुए हैं और गेहूं का रकबा भी बढ़ा है। वहीं पिछले साल का खरीदा हुआ अनाज गोदामों में भरा हुआ है, इससे इस बार गोदामों में पर्याप्त खाली जगह नहीं है।
इससे खरीदी के दौरान भंडारण बड़ी समस्या रहेगी। फिर भी भंडारण की व्यवस्था के लिए खरीदी शुरू होने से पहले से ही विभाग द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।