प्रतीक्षालय के आधे हिस्से में मवेशियों को चराने वाला भूसा भरा हुआ था और आधे हिस्से में जेल कर्मचारियों के वाहन खड़े हुए थे। वहीं कैदियों से मिलने के लिए आए उनके परिसर के गेट के बाहर परिसर में जमीन पर बैठे हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। जिला जेल में जिलेभर के कैदी बंद होने से उनसे मुलाकात करने के लिए जिलेभर से लोग आते हैं और रोजाना दर्जनों की संख्या में लोग इसी तरह से नीचे जमीन पर ही बैठकर मुलाकात के लिए अपनी बारी आने का इंतजार करते दिखते हैं।
सिर्फ टोटियां लगीं, पानी के लिए दुकानों के भरोसे-
खास बात यह है कि कैदियों के परिजनों के लिए प्रतीक्षालय के बाहर पेयजल के लिए टोटियां भी लगाई गई हैं, लेकिन टोंटियां भी सूखी हुई पड़ी थीं और टोंटियों को देखकर कहा जा सकता है कि लंबे समय से उनमें पानी नहीं आया। कैदियों से मिलने आए उनके परिजनों ने बताया कि अपनी बारी का इंतजार करते समय यदि उन्हें प्यास लगती है तो सड़क किनारे स्थित चाय की दुकानों पर पहुंचकर अपनी प्यास बुझाना पड़ती है। हालांकि जब इस संबंध में जेल अधीक्षक से चर्चा करना चाही, तो वह बाहर भी नहीं आए और मिलने से इंकार कर दिया।