परिवार पालने धूप में फावड़े चला रहीं महिलाएं, साथ में बच्चों को दूध पिलाने व दुलार का कर्तव्य भी
महिला दिवस की सच्ची तस्वीर: इन्हें नहीं पता क्या होता है महिला दिवस, पूछा तो बोली हमें कोनी पता, के होता है महिला दिवस, हम तो दूर देश से आए हैं मेहणत मजूरी करने।

अशोकनगर. आज महिला दिवस है। विभिन्न संस्थाएं और संगठनों द्वारा कई कार्यक्रमों के माध्यम से महिला दिवस मनाया जाएगा। महिलाओं के जीवन में जो संघर्ष होता है, उसकी सच्ची तस्वीर शहर में नजर आई। रेलवे लाइन के दोहरीकरण का काम चल रहा हैं, जहां पर राजस्थान के झालावाड़ से मजदूरी करने के लिए आईं महिलाएं अपने परिवार का पेट पालने के लिए तेज धूप के बीच फावड़े चलाते हुए और तसलों में मिट्टी भरकर फैंकती दिखीं।

जहां परिवार को दोनों समय भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी इन महिलाओं पर पर है तो इसी मेहनत भरे काम के बीच भूख से बिलखते छोटे बच्चों को दूध पिलाने, रोटी खिलाने और समय निकालकर दुलार करने का कर्तव्य भी निभाते हुए यह महिलाएं दिखीं। उनके दो व तीन साल के छोटे बच्चे वहीं पास में ही मिट्टी व गिट्टी के ढ़ेर पर बैठकर अपनी माताओं को फावड़ा चलाते और तसला फैंकते देख रहे हैं और तसला फैंककर लौटते हुए कुछ पल के समय में ही बच्चों की देखभाल का कर्तव्य भी महिलाएं निभा रही हैं।

पूछा तो बोली हमें कोनी पता, के होता है महिला दिवस-
तेज धूप में काम कर रही इन महिलाओं से जब पत्रिका ने पूछा कि आपको पता है कि शुक्रवार को महिला दिवस है। तो महिलाओं ने नाम बताने से इंकार दिया, लेकिन बोली कि हमें कोनी पता के होता है महिला दिवस। साथ ही इन महिलाओं ने अपनी राजस्थानी भाषा में कहा कि दूर देश से हम तो मेहणत मजूरी करने आए हैं और इसी से परिवार का पेट पालते हैं।
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