समिति के अमित रघुंवशी ने बताया कि तेरहवीं का कार्यक्रम पूर्ण करने के बाद भाजपा-कांग्रेस पार्टी को चेतावनी भी दी है कि अभी चुनाव को समय है, इसलिए चिंतन-मनन कर लें कि जिस तरह से 2007 में यूपी में बसपा की सरकार बन गई थी। उसी तरह से प्रदेश में भी ऐसे समीकरण न बन जाएं। इससे कि बाद में दोनों पार्टियों को पछताना पड़े। साथ ही उन्होंने सांसदों को भी चेतावनी दी कि कहीं ऐसा न हो कि वर्तमान सभी सांसदों के नाम के आगे पूर्व सांसद लिखा हो जाए।
युवाओं का कहना है कि अब इस एक्ट के विरोध में आगामी कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में होंगे। गांवों में चुनाव के लिए वोट मांगने पहुंचने वाले दोनों पार्टियों के नेताओं से ग्रामीण पूछेंगे कि आपने इस एक्ट के विरोध में पार्टी से सवाल क्यों नहीं पूछा और विरोध क्यों नहीं किया। इससे अब ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय और प्रादेशिक नेताओं को इन सवालों का सामना करना पड़ेगा।