‘वापसी का महान जुलूस’ नामक इस रैली का उद्देश्य अपनी पुरानी जमीन तक पहुंचना था। फिलिस्तीनी अपने वापसी के अधिकार को मानते हुए उन कस्बों और गांवों में वापस जा रहे थे, जहां से 1948 में इजरायल के निर्माण के बाद उनके परिवारों को भगाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, जुलूस उस समय खूनी बन गया जब फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी और इजरायली सेना आमने-सामने आ गए।
स्थानीय समाचार एजेंसी के मुताबिक हमास की ओर से शुक्रवार को भूमि दिवस पर बुलाए गए प्रदर्शन के दौरान करीब दो हजार फिलिस्तीनी घायल हो गए। प्रदर्शनकारी फिलिस्तीनी शरणार्थियों और उनके वंशजों को अपने देश लौटने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा के 20 लाख लोगों में से आधे से अधिक शरणार्थी हैं। इजरायली सुरक्षा बलों (आईडीएफ) ने एक बयान में कहा कि गाजा पट्टी सुरक्षा बाड़े से लगे पांच जगहों पर 17 हजार फिलिस्तीनी दंगा कर रहे हैं। बयान में कहा गया कि विद्रोही टायर जला रहे हैं। सुरक्षा बाड़ और आईडीएफ जवानों पर फायरबम और पत्थर बरसाए जा रहे हैं। आईडीएफ जवान इन्हें तितर-बितर करने के की कोशिश कर रहे हैं और प्रमुख दंगाइयों पर गोलीबारी कर रहे हैं।’
जुलूस के आयोजकों ने पहले कहा था कि जुलूस शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन उन्होंने इजरायली सेना को हमले की संभावना से भी चेता दिया था। फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि इन मौतों के लिए इजरायली प्रशासन जिम्मेदार है और उन्होंने शनिवार को शोक का दिन घोषित कर दिया। इस दौरान हजारों लोगों ने मृतकों के अंतिम संस्कार में भाग लिया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रदर्शन में हुई मौतों के मुद्दे पर स्वतंत्र जांच कराने का आदेश दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन सत्र के बाद हिंसा की निंदा की।