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बांग्लादेश में चल रहा है बनारसी साड़ियों का अवैध बाजार, कारोबारी और बुनकर काफी परेशान

ढाका में नकली बनारसी साड़ी बनाकर धड्डले से बेचा जा रहा है। इससे असली बनारसी साड़ी के अंतर्राष्ट्रीय मार्केट पर बुरा असर पड़ सकता है।

Apr 05, 2018 / 08:07 pm

Anil Kumar

banarasi sarries

नई दिल्ली । बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बनारसी साड़ियों का अवैध कारोबार चल रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि ढाका में नकली बनारसी साड़ी बनाकर धड्डले से बेचा जा रहा है। इससे असली बनारसी साड़ी के अंतर्राष्ट्रीय मार्केट पर बुरा असर पड़ सकता है।

पिछले 10 सालों में बनारसी साड़ी के कारोबार में आई है गिरावट

आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बनारस के कुछ बुनकर और हथकरघा क्षेत्र के विशेषज्ञ जब बांग्लादेश गए तो वहां का बाजार देख कर दंग रह गये। उन्होंने पाया कि वहां बन रहे साड़ी दोयम दर्जे के हैं और उसपर बनारसी साड़ी का ब्रांड लगा हुआ है। उन्हें लगा कि यदि बनारसी साड़ी के नाम पर किसी दूसरे देश में निर्माण होने लगा तो बनारस के लोगों का धंधा बर्बाद हो जाएगा और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध बनारसी साड़ी की पहचान पर सवाल खड़े हो जाएंगे। बता दें कि पिछले 10 साल में बनारसी साड़ी के कारोबार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट को देखते हुए बनारसी कारोबारी और बुनकर काफी परेशान हैं। उन्हें महसूस हो रहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बनारसी साड़ी के कारोबार में गिरावट की एक वजह बांग्लादेश है। हालांकि चीनी रेशम की कीमतों में उतार-चढ़ाव से भी बनारसी साड़ी के कारोबार पर प्रभाव पड़ रहा है।

पीएमओ में की जाएगी शिकायत

आपको बता दें कि बनारस के बुनकर व हथकरघा क्षेत्र से जुड़े संगठनों ने पीएमओ सूचित करने का निर्णय लिया है। साथ ही चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्रार कार्यालय में कानून के उल्लंघन की लिखित शिकायत की भी तैयारी हो रही है।

जीआई उत्पाद क्या होता है

गौरतलब है कि बनारसी साड़ी को बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत संरक्षण मिला हुआ है। साथ ही इसे जीआई (Geographica Identification) उत्पाद का भी दर्जा प्राप्त है। बता दें कि जीआई उत्पाद होने के कारण बनारस क्षेत्र के अलावा बनारसी साड़ियों का निर्माण और कहीं नहीं हो सकता है। यदि कोई ऐसा करता है तो इसे जीआई कानून का उल्लंघन माना जाएगा।
आपको बता दें कि किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में प्राचीनतम वह उत्पाद जो वहां की विशेषताओं को समेटे हुए हैं और लोगों की आजिविका के स्रोत के रूप में स्थापित हैं, वे जीआई उत्पाद कहलाते हैं। इसे पंजीकरण के रूप में उस भौगोलिक क्षेत्र की बौद्धिक संपदा का दर्जा प्राप्त होता हैं। जीआई उत्पाद किसी संस्था या व्यक्ति नहीं, बल्कि संबंधित समुदाय की संपत्ति होती है।

बनारसी साड़ी का इतिहास

आपको बता दें कि बनारसी साड़ी का इतिहास 5 सौ साल पुराना है। 4 सितंबर 2009 को इसे जीआई उत्पाद का दर्जा मिला। हर साल करीब 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है। हथकरघा विभाग में 27 हजार हैंडलूम बुनकर परिवार पंजीकृत हैं जबकि 90 हजार से अधिक पावरलूम बुनकर परिवार पंजीकृत हैं। अप्रत्यक्ष रूप से साड़ी कारोबार में करीब 2 लाख से ज्यादा लोग रोजगार से जुड़े हैं।

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