कंबोडिया के हजारों लोग सड़कों पर उतरे और अपने राष्ट्रीय ध्वज के साथ राजधानी नामपेन्ह स्थित चीनी दूतावास ( Chinese Embassy ) के बाहर प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, चीनी राष्ट्रीय धव्ज को भी जलाकर विरोध जताया। चीनी दूतावास के बाहर प्रदर्शनकारी चीनी सेना के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए यह कह रहे थे कि कंबोडिया में चीन की सेना की उपस्थिति स्वीकार नहीं है।
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व्यापक प्रदर्शन को देखते हुए मौके पर पहुंची पुलिस ने सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प भी हुई। कई प्रदर्शनकारियों को चोटें भी लगी है। पुलिस के प्रवक्ता सैन सोक सेहा ने एक बयान में कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को पूछताछ के लिए ले जाया गया है, क्योंकि रैली को परमिट नहीं दिया गया था।
आपको बता दें कि कंबोडिया ने कर्ज चुकाने के लिए कुछ दिन पहले ही थाइलैंड की खाड़ी ( Gulf of Thailand ) में स्थित रीम नेवल बेस को 99 साल की लीज पर चीन को दे दिया है। अब इसी मिलिट्री बेस के खिलाफ प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे हैं।
99 साल की लीज पर चीन को मिला है सैन्य बेस
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंबोडिया ने अपने रीम नेवल बेस को 99 साल की लीज पर चीनी कंपनी तियानजिन को दिया है। कंपनी इस पोर्ट को विकसित करने के लिए 3.8 अरब डॉलर खर्च करेगी। समझौते में ये कहा गया है कि चीन इस नेवल बेस का उपयोग अगले 40 वर्षों के लिए कर सकेगा।
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ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि चीन अपने एडवांस जे-20 लड़ाकू विमानों को यहां तैनात कर सकता है और अपने विस्तारवादी नीति के तहत आगे बढ़ते हुए अब यहां पर भी कब्जा जमाएगा।
कर्ज के बोझ में दबा कंबोडिया
रक्षा विशेषज्ञों व राजनैतिक जानकारों की मानें तो चीन कंबोडिया पर कब्जा करने की रणनीति के तहत आगे बढ़ रहा है। चीन ने 2017 से कंबोडिया में भारी निवेश कर रहा है। अब तक करीब 10अरब डॉलर का निवेश चीन कर चुका है। ऐसे में इतने भारी भरकम कर्ज के बोझ तले कंबोडिया अब दब चुका और इसे चुका पाना कंबोडिया जैसे गरीब देश के लिए बहुत ही मुश्किल है।
लिहाजा, अब इस कर्ज को चुकाने के मकसद से कंबोडिया ने चीन की शर्त को स्वीकार करते हुए रीम नेवल बेस को लीज पर दे दिया है। हालांकि चीन ने इससे इनकार किया है कि कर्ज के बदले कंबोडिया से यह पोर्ट लिया गया है।