मिजोरम के नए राज्यपाल बने कुम्मानम राजशेखरन, केरल में रह चुके हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुषमा स्वराज को धन्यवाद चीनी अधिकारियों ने मंगलवार सुबह भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर झील में डुबकी लगाने की इजाजत नहीं दी थी। बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और चीनी विदेश अधिकारियों से बात की तब मंगलवार शाम चीन ने मानसरोवर झील में डुबकी लगाने की इजाजत दी। पवित्र झील में स्नान के बाद श्रधालुओं ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का धन्यवाद दिया। इससे पहले श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ एक वीडियो में यह दावा किया था कि चीनी अधिकारी मानसरोवर झील में पवित्र डुबकी लगाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। वीडियो में उन्होंने सवाल पूछे थे कि अगर अनुमति नहीं मिलनी थी तो फिर वीजा और परमिट क्यों जारी किए गए थे। श्रद्धालुओं के एक जत्थे का नेतृत्व करने वाले पुजारी ने कहा कि जब तक उन्हें झील में डुबकी लगाने की इजाजत नहीं मिल जाती तब तक वह लोग वहां से नहीं हटेंगे।
इराक के मोसुल में 39 भारतीयों की मौत पर घिरी केंद्र सरकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछे तीखे सवाल कैसे आयोजित होती है कैलाश मानसरोवर यात्रा बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से हर साल जून से सितंबर के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित की जाती है। कैलाश मानसरोवर झील चीन के तिब्बत में है और यहां बेहद दुर्गम रास्तों से होकर जाना होता है।इस यात्रा के 2 मार्ग हैं। एक मार्ग है उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर और दूसरा है सिक्किम के नाथू ला दर्रे से होकर। बीते कुछ सालों से कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान नाथू ला दर्रा होकर जाने वाला मार्ग बंद था जिसकी वजह से लिपुलेख होकर जाने वाले यात्रियों की संख्या अधिक थी। जिस वजह से तीर्थयात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इस बार कुल 1580 श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा रहे हैं।