अमरीका ने 1995-96 में ताइवान के जलसंधि संकट के दौरान चीन को रोकने के लिए अपने विमानवाहक पोत वहां भेजे थे। इस दौरान बीजिंग के नेताओं ने निर्णय लिया था कि वे ऐसे शक्तिशाली सिस्टम और हथियार को विकसित करेगा जो अमरीका को पीछे धकेल सके।
अमरीका की नौसेना को पिछाड़ने के लिए चीन अब नए पैतरे अपना अपना रहा है। वह अमरीका पर बड़ा हमला करने के लिए अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ाना शुरू कर रहा है। वह चाहता है कि अमरीका को इस ताकत के दम पर काबू में किया जा सके। चीन एक ऐसा सिस्टम बनाने में जुट गया है जो अमरीका के इन हथियारों पर निशाने पर रख सकें और खतरा महसूस होने पर उनपर हमला कर सके।
चीन बड़ी संख्या में सेंसरों का प्रयोग करता है जिनसे दक्षिण चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और पूर्वी चीन सागर में संचालित हो रही नौकायानों पर नजर रखी जा सकें। इसके लिए चीन उपग्रहों, रडार, सतह पर तैनात युद्धपोतों और पनडुब्बियों, समुद्री गश्ती विमान और पानी के नीचे मौजूद सेंसरों का प्रयोग करता है।