दरअसल यह भारत को घेरने की चीन की नई कोशिश मानी जा रही है। इस बार उनसे सीधे भारत से उलझने की बजाय मलेशिया और थाईलैंड का साथ लिया है। ताकि भारत खुलकर कोई विरोध न दर्ज कर पाए। बता दें कि चीन शनिवार से 9 दिन का संयुक्त नौसेना अभ्यास शुरू करनेवाला है। इस अभ्यास में उसके मलेशिया और थाइलैंड भी शामिल होंगे। चीन का कहना है कि यह अभ्यास उसकी नौसेना को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है। स्ट्रेट ऑफ मलाक्का में होने वाले इस अभ्यास पर भारत की नजर भी है। जहां चीन यह अभ्यास कर रहा है, वह जगह निकोबार द्वीप से हजार किलोमीटर दूर है। भारतीय नेवी का एक एयर स्टेशन भी यहां मौजूद है। चीन की तरफ से इस अभ्यास के लिए 3 युद्धपोत, दो हेलिकॉप्टर, 3 IL-76 ट्रांसपॉर्ट एयरक्राफ्ट मुख्य रूप से शामिल होंगे। एक पनडुब्बी के भी इस अभियान में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। यह अभ्यास 9 दिन के लिए होगा और इसमें 692 जवान शामिल होंगे। चीन ने इस अभ्यास को पीस ऐंड फ्रेंडशिप 2018 नाम दिया है। चीन का कहना है कि यह अभ्यास साउथ चाइना सी में शांति और स्थिरता बनाने के लिए बहुत जरूरी है। इसके साथ ही चीन का यह भी दावा है कि वह इस अभ्यास के जरिये अपनी नौसेना की ताकत परखना चाहता है।
मलेशिया और थाईलैंड का इस अभ्यास में साहिल होना भारत के लिए एक झटके की तरह माना जा रहा है। बता दें कि कुछ महीनों पहले ही मलेशिया ने भारत के साथ द्विपक्षीय सेना अभ्यास किया था। उसके बाद लगने लगा था कि भारत और मलेष्य एक दूसरे के बड़े सहयोगी बन सकते हैं। उस समय कहा जा रहा था कि इससे मलेशिया के आसियान देशों के साथ संबंध बेहतर होंगे। थाईलैंड का रुख भी भारत को हैरत में डालने वाला है। दोनों देश लम्बे समय तक एक दूसरे के विश्वस्त सहयोगी रहे हैं, ऐसे में थाईलैंड का चीन के साथ जाना भारत के लिए अच्छी बात नहीं है।
अभ्यास के लिए चुनी गई जगह स्ट्रेट ऑफ मलाक्का मलेशिया, इंडोनेशिया और थाइलैंड को जोड़ती है। यह अंडमान सागर को साउथ चाइना सागर से जोड़ती है। यह एक महत्वपूर्ण ट्रेड रूट है जो भारत और आसियान देशों को जोड़ती है। यही नहीं यह मार्ग चीनी जहाजों के आने-जाने का रास्ता भी है। भारत को लगता है कि इस शांतिपूर्ण और महत्वपूर्ण क्षेत्र में चीन का अभ्यास इस समूचे क्षेत्र में एक असुरक्षा की नई शंकाओं को जन्म दे सकता है।