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कार्रवाई या दिखावापाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने कल राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद बुलाई थी। इस बैठक में उन्होंने पाकिस्तानी जमीन का उपयोग आतंकी गतिविधियों का करने वाले किसी भी व्यक्ति को दंडित करने की पेशकश की। उन्होंने आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के उपायों में तेजी लाने और भारत पर अतिवादी होने का आरोप लगाया। असल में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद हर तरफ से घिरे पाकिस्तान ने महज आतंकी संगठनों पर दिखावे की कार्रवाई की है। अगर पाकिस्तान गम्भर होता तो वह जैश जैसे संगठनों पर कोई एक्शन लेता। इमरान ने अपने फैसले में जैश-ए-मोहम्मद संगठन का नाम भी नहीं लिया है।
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अंतरराष्ट्रीय दबाव का असरजानकरों का कहना है कि पाकिस्तान की इस कॉस्मेटिक प्रतिक्रिया के कई मायने हैं। असल में पुलवामा पर पाकिस्तान बुरी तरह घिरता जा रहा है। पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव का इतना बढ़ा गया है कि पाकिस्तान को इससे निपटना बेहद भारी पड़ने लगा है। बता दें कि पाकिस्तान पर लगाम लगाना एक समन्वित कूटनीतिक अभियान है, जिसे भारत ने चलाया है। कई देशों ने पुलवामा हमले की निंदा की जिनमें से कई ने सीधे जेएम को जवाबदेह ठहराए जाने का आह्वान किया। अब पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान ने केवल दिखावे की कार्रवाई की है। गुरुवार को पाकिस्तान सरकार ने ग्लोबल आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर बैन लगा दिया।
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दिखावे का उस्ताद है पाकगौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने ऐसी दिखावे की कार्रवाई की हो। जब भी पाक पर अंतरराष्ट्रीय बनता है तो वह ऐसे पैंतरे अपनाता रहता है। माना जा रहा है कि अब एक बार फिर इसी दबाव में आकर पाकिस्तान ने ये कदम उठाया है। यह भी बता दें कि पाकिस्तान के ऐसे प्रतिबंधों का कोई मतलब नहीं है। पहले भी पाक हाफिज पर बैन लगा चुका है लेकिन इसके बावजूद हाफिज खुलेआम रैलियां करता नजर आया है।