यात्रा के दौरान जयशंकर भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक के साथ मिलेंगे। यात्रा के दौरान वह भूटान के प्रधानमंत्री लोटे त्शेरिंग से मुलाकात करेंगे और अपने समकक्ष भूटानी विदेश मंत्री टांडी दोरजी से भी मिलेंगे। विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के बारे में चर्चा की जाएगी, जिसमें आगामी उच्च स्तरीय आदान-प्रदान, आर्थिक विकास और पनबिजली सहयोग शामिल है।
विदेश मंत्री डॉ सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने आज दोपहर बाद ग्योंगॉन्ग त्सोचांग में भूटान की शाही सरकार के विदेश मंत्री दोरजी के साथ बैठक की। बताया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई।
इस यात्रा के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत और भूटान एक अद्वितीय और समय की कसौटी पर खरे द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं, जिसमें अत्यधिक विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ है। विदेश मंत्री की यात्रा दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर नियमित यात्राओं और विचारों के आदान-प्रदान की परंपरा को ध्यान में रखते हुए हो रही है।”
30 मई को भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एस जयशंकर को अहम पद दिया। एस जयशंकर पहली बार चर्चा में तब आए थे जब मोदी ने 2014 मेंअपनी पहली अमरीकी यात्रा की थी। कहा जाता है कि इस यात्रा की योजना तैयार करन और इसे सफल बनाने में जयशंकर की अहम भूमिका थी। यह भी कहा जाता है इस दौरे पर पहले पीएम मोदी का पब्लिक को संबोधन करने का कार्यक्रम नहीं था लेकिन बाद में एस जयशंकर ने मेडिसन स्क्वायर पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन करवाया। जनवरी 2015 वह विदेश सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन किए गए। तबसे लेकर जनवरी 2018 वह भारत के विदेश सचिव रहे। विदेश सचिव रहते हुए उन्होंने शानदार काम किया था। असल में विदेश सचिव के रूप में अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने विदेश नीति को ठोस आधार प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
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