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मालदीव: चीन की मदद से बने ब्रिज के उद्घाटन में नहीं गए भारतीय के राजदूत, कई देशों ने किया बहिष्कार

हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन अपने पसार रहा है। चीन ने इस क्षेत्र के देशों में बंदरगाह से लेकर सड़क बनाने में मदद कर भारतीय अधिपत्य को चुनौती दी है।

नई दिल्लीSep 02, 2018 / 02:09 pm

Siddharth Priyadarshi

Maldives bridge

मालदीव: चीन की मदद से बने ब्रिज के उद्घाटन में नहीं गए भारतीय के राजदूत, कई देशों ने किया बहिष्कार

माले। भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर हटाने को लेकर उठे विवाद के बीच भारत ने मालदीव में चीन की मदद से बनने वाले ब्रिज के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया । बीते दिनों दोनों संबंधों में आए तनाव के बीच भारत ने वहां होने वाले ब्रिज के उद्घाटन का बहिष्कार किया । बताया जा रहा है कि यह ब्रिज चीन का फ्लैगशिप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट कम्पनी के तहत बनाया गया है। सिनामाले ब्रिज नाम का यह पुल मालदीव की राजधानी माले को एयरपोर्ट आईलैंड से जोड़ता है।
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नए विवाद की आशंका

हेलीकॉप्टर विवाद के चलते भारत ने इस पुल के उद्घाटन कार्यक्रम से दूर रहने का फैसला किया । यही नहीं, पहले भी भारत की आपत्ति चीन की कंपनी को इस पुल के निर्माण का ठेका देने पर थी। अब भारत ने आधिकारिक रूप से इस पुल के उद्घाटन से दूर रहने का फैसला किया। मालदीव में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा गुरुवार को इस पुल के उद्घाटन में नहीं पहुंचे। पहले मालदीव की मीडिया में भर के राजदूत को न बुलाए जाने के चर्चा थी, लेकिन मालदीव सरकार की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया, “उन्हें सरकार की ओर से बुलाया गया था, लेकिन वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।” भारत ने इस दावे पर कोई भी आधिकारिक टिप्पड़ी करने से इंकार कर दिया है।
चीन के राष्ट्रपति थे चीफ गेस्ट

मालदीव ने इस पुल के उद्घाटन में चीन के प्रसिडेंट को चीफ गेस्ट बनाया था। भारत के इस समरोह से किनारा करने के एक वजह यह भी बताई जा रही है।बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में चीनी आतिशबाजियों के बीच इस पुल का उद्घाटन किया गया। इस बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस आयोजन में श्रीलंका और भूटान के राजदूत से कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया।
आयोजन स्थल पर केवल चीनी राजदूत की कार को अनुमति

मालदीव में विपक्ष ने आरोप लगाया है कि आयोजन स्थल पर केवल चीनी राजदूत की कार आने की अनुमति दी गई थी।संयुक्त विपक्ष के प्रवक्ता अहमद महलूफ ने ट्वीट किया, “श्रीलंका और बांग्लादेश के राजदूत इस कार्यक्रम से वापस लौट गए क्योंकि उनकी कारों को यमीन के सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया था और उनसे पैदल जाने को कहा गया।” राष्ट्रपति यमीन ने 200 मिलियन डॉलर की लागत से बने इस पुल को मालदीव के राजनयिक इतिहास की सबसे बड़ी कामयाबी बताया है।
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मालदीव में बढ़ता चीनी दखल

हाल के वर्षों में हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन अपने पसार रहा है। चीन ने इस क्षेत्र के देशों में बंदरगाह से लेकर सड़क बनाने में मदद कर भारतीय अधिपत्य को चुनौती दी है।

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