अंतरिक्ष एजेंसी के प्रवक्ता ताकाशी कुबोटा ने कहा, “यह अंतरिक्ष के गहरे अन्वेषण के प्रति वास्तविक आकर्षण का नतीजा है। हेवसुसा-2 यान ने गुरुवार दोपहर लगभग 20 किमी की कक्षा ऊंचाई से एस्टेरॉयड रियुगु के लिए लैंड करना शुरू किया। लैंड करने के बाद रोवर चट्टान पर 100 चला और इसने अपनी पहलकी तस्वीर खींची। इस तस्वीर में दिख रहा है कि हेवसुसा-2 यान एक बंजर और रेतीली सतह पर उतरा है। सौर मंडल में सैकड़ों सालों से चक्कर लगाते हुए इन एस्टेरॉयडस को अरबों साल पहले सौर मंडल के गठन के बारे में जानकारी का एक समृद्ध खजाना माना जाता है ।
अपने पहले चरण की तस्वीरों में रोवर्स ने 1 किमी चौड़ी अंतरिक्ष की इस चट्टान की तस्वीरें ली हैं। हीरे की तरह दिखने वाली इस चट्टानिक एस्टेरॉयड पर पानी और कार्बनिक पदार्थों के समृद्ध भंडार होने की उम्मीद है। जिससे वैज्ञानिकों को “पृथ्वी के निर्माण खंडों और इसके महासागरों और जीवन के विकास के क्रम को स्पष्ट रूप से समझने में मदद मिलेगी। विशेष रूप से डिज़ाइन किए पहले रोवर पर चार और दूसरे पर तीन कैमरे लगाए गए हैं। दोनों रोवर्स तापमान गेज और ऑप्टिकल सेंसर के साथ-साथ एक्सेलेरोमीटर और जीरोस्कोप के साथ लैस हैं।
बता दें कि एमएएससीओटी नामक तीसरा रोवर अक्टूबर के शुरू में हायाबुसा-2 से लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष में दूर दराज की वस्तुओं की जांच करने और नमूने लेने के बाद हेवसुसा-2 2020 के अंत तक धरती पर लौट आएगा। धरती पर यह अंतरिक्ष यान अपने साथ एस्टेरॉयड से इक्कठा किए गए नमूने भी लाएगा। अगर अंतरिक्ष यान की वापसी सफल रही तो यह “सी-टाइप के एस्टेरॉयड से दुनिया का पहला नमूना रिटर्न मिशन होगा।