चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) के अनुसार भारत और चीन की सीमा पर 1975 के बाद ऐसा पहली बार है कि जिसमें इतनी बड़ी संख्या में किसी देश के सैनिक मारे गए हैं। अपने लेख में सरकारी मीडिया ने कहा कि भारत लगातार विवादित क्षेत्र में निर्माण कार्य कर रहा है। ऐसे में दोनों देशों के बीच हुए समझौते पर संकट मंडराने लगा है। चीन ने इसके लिए भारत के अड़ियल रवैये को जिम्मेदार ठहराया है। चीन का कहना है कि बीते कुछ सालों में भारत सरकार सीमा विवाद को लेकर सख्ती से पेश आ रही है। उन्हें स्थिति को लेकर कई सारे भ्रम हैं। ऐसा लगता है कि भारत ये मान रहा है कि चीन उसके साथ अच्छे संबंध नहीं चाहता है। मगर ये सच नहीं है।
अमरीका के बहकावे में न आएं इस संपादकीय में आरोप है कि अमरीका के बढ़ते दबाव के कारण भारत का रवैया चीन के प्रति लगातार बदल रहा है। इस लेख में कहा गया है कि भारत में कुछ लोगों को इसका भ्रम है कि भारतीय सेना की ताकत चीनी सेना से काफी अधिक है। ये तथ्य नहीं हैं और ऐसे भ्रामक तथ्यों के कारण बड़ा नुकसान हो सकता है। चीन के अनुसार अमरीका अपनी इंडो-पैसेफिक नीति के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है। भारत के आक्रामक रवैये को लेकर अमरीकी दबाव है। मीडिया का कहना है कि चीन और भारत की सैन्य ताकत में फर्क किसी से छिपा नहीं है। हम भारत को सीमा विवाद किसी भी तरह की हिंसा से न सुलझाने की सलाह देते हैं।
चीन युद्ध नहीं चाहता चीन का कहना है कि वह भारत से युद्ध नहीं चाहता है। लेकिन इसे किसी तरह की कमजोरी के रूप में नहीं देखा जाए। चीन के मुताबिक भारत और चीन में कुछ मतभेद हैं जिन्हें द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाया जा सकता है। चीन ने कहा है कि वो किसी भी हालत में भारत से शांति की शर्त पर अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। इस संपादकीय में कहा गया है कि चीन और भारत दोनों काफी बड़े देश हैं। यहां अरबों लोग रहते हैं। भारत को ये स्पष्ट करना चाहिए कि चीन और भारत के तनावपूर्ण रिश्तों में अमरीका के कौन से हित पूरे हो रहे हैं। क्या भारत ने पूरी तरह से वाशिंगटन के सामने समर्पण कर दिया है?
चीन ने कहा कि गलवान वैली में जो झड़प हुई है उससे दोनों सेनाओं को काफी नुकसान हुआ है। इस मामले में दोनों देशों का नेतृत्व सामने आया और उसने बातचीत के जरिए शांति स्थापित करने की कोशिश की है। इससे स्पष्ट होता है कि दोनों ही देश बातचीत से मामले को सुलझाना चाहते हैं। चीन अपनी सेना को हुए नुकसान को सामने लेकर नहीं आया है। वह अपने देश के लोगों में भारत के प्रति नफरत नहीं पैदा करना चाहते।