नई दिल्ली। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आज नवाज शरीफ को पनामा गेट पेपर लीक मामले में दोषी करार देते हुए प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। जिसके बाद नवाज शरीफ ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। अब नवाज शरीफ आजीवन चुनाव नहीं लड़ सकते हैं और ना ही किसी सार्वजनिक पद पर बैठ सकते हैं। नवाज के दोषी ठहराए जाने के साथ ही एकबार फिर पाकिस्तान की आवाम परेशान हो गई है। इससे पहले भी पाकिस्तान सरकार भष्टाचार और सेना की तख्तापलट की वजह से खतरे में पड़ चुकी है।
आइए आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में कब-कब सैन्य शासन लगा है।
पहली बार 1958 में सैन्य शासन
1947 में बंटवारे के 11 साल बाद यानि 1958 में जनरल अयूब खान ने तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। दो साल बाद अयूब ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर नौ साल तक शासन करता रहा।
दूसरी बार 1969 में सैन्य शासन
1969 में जनरल यह्या खान ने भी तख्तापलट कर अयूब खान का तख्तापलट को सरकार से बेदखल कर दिया। जुल्फिकार अली भुट्टो के प्रधानमंत्री बनने तक जनरल यह्या ने पाक में शासन किया।
1978 में तीसरी बार लगा सैन्य शासन
1973 में जब जुल्फिकार अली भुट्टो प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने जियाउल हक को सेना प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन हर बार की तरह एकबार फिर तख्ता पलट करते हुए 1978 में जनरल जियाउल ने सत्ता पर कब्जा कर लिया, और साल भर के बाद जुल्फिकार अली को फांसी की तख्त पर लटका दिया। 1988 में जनरल जियाउल हक की एक विमान हादसे में मौत तो हो गई लेकिन पाकिस्तान में सेना की हुकूमत जारी रही।
1999 से 2008 तक फिर लगा सैन्य शासन
इतिहास ने खुद को एकबार फिर दुहराया और 1999 में जब नवाज शरीफ श्रीलंका गए हुए थे तब सेना प्रमुख परवेज मुशर्ऱफ ने सत्ता से बेदखल कर हुकूमत पर काबिज हो गए। इसके बाद 2008 तक पाकिस्तान की जनता सैन्य शासन का दंश झेलती रही।
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