पाकिस्तान के नेशनल एसेम्बली में हिंदू विवाह विधेयक पेश
विधेयक को 8 फरवरी को स्थायी समिति ने मंजूरी दे दी थी
इस्लामाबाद। बहुचर्चित हिंदू विवाह विधेयक पाकिस्तान के नेशनल एसेम्बली राष्ट्रीय सदन में पेश किया गया। विधेयक को लाने वालों में से एक नेशनल एसेम्बली के सदस्य (एमएनए) रमेश लाल ने बुधवार को कहा था कि इस विधेयक को सदन की समिति से पास कराने में करीब दस महीने लगे और इसके बाद छह महीने इसे सदन में पेश करने में लगे।
डॉन अखबार के अनुसार, लाल ने कहा, इसमें देरी की वजह इस विधेयक पर हुई असाधारण ढंग से चर्चा और बहस है, लेकिन कम से कम अब सरकार को अगले सत्र में इस पर विचार करना चाहिए। विधेयक को 8 फरवरी को स्थायी समिति ने मंजूरी दे दी थी। इसे हिंदू समुदाय और उदारवादियों का समर्थन भी मिला।
हालांकि, हिंदू समुदाय के कुछ धार्मिक सदस्यों ने इस विधेयक में मौजूद कुछ बिंदुओं पर दृढ़ता से अपने विचार रखे, जिसमें तलाक लिए हुए व्यक्तियों के पुनर्विवाह, हिंदू विधवा को पति की मौत के छह महीने बाद अपनी मर्जी से पुनर्विवाह का अधिकार दिए जाने की मांग की।
डॉन के मुताबिक, उम्मीद है कि इस विधेयक के अधिनियमित हो जाने से शादीशुदा हिंदू महिलाओं के अपहरण के मामले बंद हो जाएंगे। इस कानून से हिंदू समुदाय को मुस्लिम के ‘निकाहनामा’ की तरह शादी के प्रमाण के तौर पर ‘शादीपरत’ मिलेगा।
पाकिस्तान के पंजाब, खैबर पख्तूनवा और बलूचिस्तान ने संघीय सरकार के इस हिंदू विवाह कानून को अपनाने पर अपनी सहमति दे दी है, जबकि सिंध प्रांत ने अपना खुद का हिंदू विवाह पंजीकरण कानून बनाया है।
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