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मालदीव: अगले हफ्ते शपथ लेंगे नए राष्ट्रपति सोलिह, पीएम मोदी के शामिल होने की उम्मीद

मालदीव ही अकेला ऐसा दक्षिण एशियाई देश है, जहां अब तक पीएम मोदी नहीं गए हैं

नई दिल्लीNov 07, 2018 / 10:07 am

Siddharth Priyadarshi

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मालदीव: अगले हफ्ते शपथ लेंगे नए राष्ट्रपति सोलिह, पीएम मोदी के शामिल होने की उम्मीद

माले। पीएम मोदी अगले सप्ताह मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए मालदीव का दौरा कर सकते हैं। मालदीव ही अकेला ऐसा दक्षिण एशियाई देश है, जहां अब तक पीएम मोदी नहीं गए हैं। हालांकि अभी तक उनके दौरे की घोषणा नहीं की गई है लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारी उनके संभावित दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने माले पहुंच चुके हैं। मालदीव में हाल में हुए राजनीतिक घटनाक्रम और भारत विरोधी गतिविधियों के चलते पीएम का यह दौरा बहुत अहम होने जा रहा है।

मालदीव में नई सरकार

मालदीव में लम्बे समय के बाद एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। निवर्तमान राष्ट्रपति यामीन अब्दुल्ला की चुनाव में हार के बाद नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह जल्द ही देश के नए राष्ट्रपति का कार्यभार संभालेंगे। यामीन अब्दुल्ला के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। अब पड़ोसी देश मालदीव की सियासी फिजा बदली है। बदले दौर में अब भारत नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के साथ संबंधों को मजबूत करना चाहता है। माना जा रहा है कि मालदीव की जनता के इस फैसले को सराहने के लिए पीएम मोदी खुद अगले हफ्ते सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने माले जा सकते हैं।

चीन को साधने की कोशिश

अपने इस कदम से भारत दो मोर्चों पर वार कर रहा है। एक तरफ तो भारत पीएम के इस के इस दौरे से भारत और मालदीव के रिश्ते फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, वहीं उसकी नजर चीन पर भी है। बेटे कुछ सालों से चीन का प्रभाव इस समूचे क्षेत्र में काफी मजबूत हुआ है। मालदीव की पिछली सरकार पूरी तरह चीन के प्रभाव में थी। माना जा रहा था कि चीन के प्रभाव में आकर ही उसने भारत के खिलाफ जमकर काम किया। अगस्त के दौरान पैदा हुआ हेलीकॉप्टर विवाद भी चीन की वजह से ही बिगड़ा। पिछली सरकार के दौरान मालदीव में चल रहे भारत के सभी प्रोजेक्ट रुक गए थे ।नई सरकार में भारत को उम्मीद है कि पुराने रुके प्रोजेक्ट फिर से शुरू हो सकेंगे। भारत ने हाल में ही मालदीव को इंडियन ओसन रिम में शामिल कराने के लिए मदद की थी ।

मोदी के दौरे के निहितार्थ

मालदीव में मोदी की मौजूदगी अपने आप में इस बात का संकेत होगा कि भारत न सिर्फ पुराने मतभेदों को भुलाकर नई सरकार को समर्थन दे रहा है, बल्कि खुद प्रधानमंत्री मौजूद होकर नए राष्ट्रपति के प्रति सम्मान और भरोसा जता रहे हैं। आपको बता दें कि सितम्बर में चुनाव जीतने पर पीएम ने जब सोलिह को बधाई दी थी तभी उन्होंने शपथ ग्रहण के लिए मोदी को आमंत्रित किया था।

सोलिह के सामने चुनौतियां

सोलिह राजनीति में नए हैं। उन्हें संसद में भी ज्यादा समय नहीं हुआ है। एक तरफ उनके पास बहुत अधिक अनुभव नहीं है तो दूसरी तरफ उनके लिए चुनौतियां भी कम नहीं हैं। उन्हें दो कट्टर विरोधी नेताओं मोहम्मद नाशीद और मौमून अब्दुल गयूम के बीच संतुलन बनाकर रखना होगा। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन विपक्ष में रहने का एलान कर चुके हैं। चुनावों में यामीन की हार और नाशीद के खिलाफ सजा निलंबित किए जाने के बाद मालदीव के राजनैतिक समीकरण तेजी से बदले हैं। पूर्व राष्ट्रपति नशीद वापस माले पहुंच गए हैं। माना जा रहा है वह अपनी खोई राजनैतिक जमीन वापस पाने के लिए फिर से काम करेंगे।सोलिह अपनी सरकार में गयूम की बेटियों को शामिल कर सकते हैं। लेकिन अगर नशीद और गयूम ने सक्रिय राजनीति में उतरने का फैसला किया तो सोलिह के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो सकती है।

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