यात्रा की शुरुआत फिलीस्तीन से करेंगे। फिलीस्तीन में पीएम यासर अराफात के नाम पर बने शहीद स्मारक भी जाएंगे। पीएम नरेन्द्र मोदी का फिलीस्तीन जाना राजनयिक दृष्टि से एक अहम पड़ावा माना जा रहा है। किसी भी भारतीय पीएम का यह पहला फिलीस्तीन दौरा होगा। 2017 में पीएम मोदी इजरायल के दौरे पर गए थे। हाल ही में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत दौरे पर आए थे। इस लिहाज से भी मोदी का यह दौरा काफी मायने रखता है। पीएम ने गुरुवार को ट्वीट कर अपनी यात्राओं की जानकारी दी। मोदी ने लिखा कि अपनी इस यात्रा में 9 फरवरी को वह जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय से मिलेंगे। 10 फरवरी को पीएम रामल्ला जाएंगे, जहां वे यासर अराफात म्यूजियम का भी दौरा करेंगे।
फिलीस्तीन के बाद पीएम मोदी यूएई के दो दिवसीय दौरे पर निकल जाएंगे। जहां वो दो दिन रहेंगे। 2015 में अपने दौरे के दौरान यूएई सरकार से एक हिंदू मंदिर के लिए जमीन देने की मांग की थी। उस समय पहां के क्राउन प्रिंस ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था। वहां की सरकार ने इसके लिए 20 हजार वर्ग मीटर भूमि का आवंटन किया है। पिछले साल गणतंत्र दिवस में यूएई प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद बतौर मेहमान के भारत दौरे पर आए थे। दो साल में यूएई और भारत के संबंध में भी मिठास देखी गई है। यूएई के यात्रा के दौरान पीएम मोदी हिंदू मंदिर का शिलान्यास भी करेंगे। पीएम दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट को भी संबोधित करेंगे। 11 फरवरी को मोदी यूएई के शहीद सैनिकों के स्मारक देखने जाएंगे। वह एक सामुदायिक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे। ओमान यात्रा के दौरान वो मस्कट स्थित प्राचीन हिंदू मंदिर में भगवान शिव का दर्शन करने जाएंगेफ यह मंदिन 109 वर्ष पुराना है। इसे गुजरात के एक व्यापारी ने बनवाया था जो मस्कट कारोबार के सिलसिले में गए थे और बाद में वहीं बस गए।
मोदी सरकार की कोशिश खाड़ी देशों के साथ दोस्ती के संतुलन को बनाए रखने की है। भारत की कोशिश यहूदी बहुल इजराइल और मुस्लिम बहुल फिलीस्तीन के साथ दोस्ती के लिहाज से एक जैसा व्यवहार करते दिखने की है। पिछले महीने यरूशलम को इजराइल की राजधानी घोषित किए जाने अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ यूएन में पेश प्रस्ताव के पक्ष में भारत ने मतदान किया था, जिसमें अमेरिका के साथा भारत की खासी किरकिरी हुई थी। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों में उतार-चढ़ाव आया था।