चीन से 90 प्रतिशत व्यापार
दरअसल, चीन से नॉर्थ कोरिया व्यापार का 90 प्रतिशत तक व्यापार होता है। इसलिए प्योंगयोंग के परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की मिसाइलों के निर्माण में चीन का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। बता दें कि अति प्राचीन काल से चीनी उत्तर कोरिया के राजनयिक संरक्षक माना जाता है लेकिन अब किम जोंग उन सरकार आने के बाद चीन और प्योंगयोंग के संबंध खटास की ओर बढऩे लगे हैं। बीजिंग ने यूएन सुरक्षा परिषद में उत्तरी कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन किया है। उधर, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उत्तरी कोरिया को आत्मघाती मिशन पर बताया है। इसके साथ ही अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र से उत्तर कोरिया पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाने की पैरवी भी की है
क्या है अमरीका-नॉर्थ कोरिया विवाद
बता दें कि अमरीका और नॉर्थ कोरिया के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण नॉर्थ कोरिया की ओर से किए गए छह परमाणु परीक्षण और अमरीका को दी जा रही लगातार युद्ध की धमकी है। प्योंगयांग ने ऐसी मिसाइलों को परीक्षण किया है, जिनकी मारक क्षमता अमरीका के कई बड़े शहरों तक है। इसके साथ ही प्योंगयांग के नेता किम जोंग उन ने गुआम प्रायद्वीप को उड़ाने की धमकी दी है। यह प्रायद्वीप अमरीका की टैरेट्री है, जिस पर अमरीका के कई सन्य बेस और 10 हजार से अधिक सैनिक तैनात हैं। यही नहीं यहां लाखों की संख्या में अमरीकी नागरिक भी रहते हैं। गुआम नॉर्थकोरिया की सीधी एप्रोच में होने के कारण अमरीका आक्रमक मोड़ में आ गया था, जिसके चलते अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएन महासभा के सम्मेलन के दौरान नॉर्थ कोरिया में बमबारी की चेतावनी दी थी। यही नहीं इसके साथ ही अमरीका और संयुक्त राष्ट्र के कहने पर चीन समेत कई देशों ने नॉर्थ कोरिया पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दी दिए थे। जिसको देखते हुए दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावनाएं प्रबल हो गई थी।