हालांकि वैक्सीन के साइड इफैक्ट के कुछ मामले सामने आने के बाद से लोगों में दुविधा है कि वे टीका लगवाएं या न लगवाएं। कई देशों में वैक्सीन नहीं लगवाने को लेकर विरोध कर रहे हैं। इस बीच चीन द्वारा निर्मित सीएनबीजी कोरोना वैक्सीन ( Chinese CNBG Corona Vaccine ) को लेकर दुनियाभर में संशय है। ज्यादातर देश चीनी वैक्सीन को खरीदने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
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इंडोनेशिया और ब्राजील समेत कई देशों में चीनी वैक्सीन को कोई खास तवज्जो नहीं मिल पाई है। सबसे बड़ी बात कि चीन के सदाबहार दोस्त पाकिस्तान में भी लोग उसकी वैक्सीन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। पाकिस्तान के लोगों का मानना है कि चीन के वैक्सीन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। यही कारण है कि लोग क्लिनिकल ट्रायल के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
लिहाजा, अभी तक पाकिस्तान में चीनी वैक्सीन के केवल दो क्लीनिकल ट्रायल हुए हैं। ट्रायल के लिए सरकारी अधिकारियों को ही वैक्सीन लगाना पड़ रहा है। पाकिस्तान के कराची शहर के मोटरसाइकल ड्राइवर फरमान अली ने कहा, ‘मैं चीनी वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा। मुझे इस वैक्सीन पर भरोसा नहीं है।’
वैक्सीन पर चीन की रणनीति
आपको बता दें कि ब्राजील के रिसर्चर्स ने बीते सप्ताह बुधवार को चीन के सिनोवैक बायोटेक की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल डेटा का खुलासा किया। इसमें ये बात सामने आई है कि चीनी कोरोना वैक्सीन ब्राजील में करीब 50 फीसदी ही कारगर है। हालांकि चीन का दावा है कि यह वैक्सीन 99 फीसदी कारगर है। रिसर्चर्स ने कहा है कि पूरा डेटा को प्रोसेस करने में अभी वक्त लगेगा। ब्राजील इस वैक्सीन का लेट स्टेज ट्रायल को पूरा करने वाला पहला देश है।
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दूसरी तरफ अमरीका और यूरोप की दवा कंपनियों ने सभी तरह के डेटा को प्रकाशित कर दुनियाभर में अपने-अपने वैक्सीन पहुंचाी शुरू कर दी है। ऐसे में चीन को एक बड़ा झटका लगा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक ट्वीट में कहा था कि चीन निर्मित वैक्सीन उन देशों के लिए एकमात्र विक्लप हो सकते हैं, जिन्हें अभी तक वैक्सीन नहीं मिल सकी है।