पुल से होगी समय की बचत
पुल बनाने वाले लोगों का कहना है कि इस पुल के कारण इन शहरों के बीच की यात्रा का काफी समय बचेगा जिससे यात्री और पर्यटक इस क्षेत्र के आसपास आसानी से यात्रा कर सकेंगे। हालांकि, हांगकांग के निजी कार मालिकों को पुल से गुजरने की अनुमति के लिए विशेष परमिट लेना होगा। अन्यथा, उन्हें अपनी कार पार्क कर शटल बस या विशेष रूप से हायर कारों द्वारा आगे बढ़ने की अनुमति होगी।
पुल की ये है खासियत
55 किलोमीटर लंबे इस पुल को बनाने के लिए 2009 में काम शुरू हुआ था। पुल का निर्माण कार्य 31 दिसबंर 2017 को पूरा हुआ। इसे बनाने में एफिल टावर के मुकाबले 60 गुना ज्यादा स्टील खर्च हुआ है। दुनिया के इस सबसे लंबे पुल पर पैदल सवार नहीं चल सकेंगे। चीन से जाने वाली कार को हांग कांग में घुसने से पहले रोड पर अपनी साइड बदलनी होगी। क्योंकि हांगकांग में भारत की तरह ट्रैफिक बायीं तरफ चलता है।