हमले की जिम्मेदारी IS (इस्लामिक स्टेट) ने ली है। आईएस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उनके लड़ाकों ने कैंटीन को कार बम से टक्कर मारकर उड़ाया है। बता दें, यमन में गृह युद्ध की स्थिति है। यमन सेना पहले से ही सऊदी के नेतृत्व में गठबंधन सेना के माध्यम से राजधानी सना में ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों से लड़ रही है।
पहले भी हो चुके हैं आत्मघाती हमले यमन में इससे पहले भी सेना के ठिकानों पर आतंकी आत्मघाती हमले कर चुके हैं। पिछले महीने भी अदन में दोहरे आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था। इसकी जिम्मेदारी भी आईएस ने ली थी। इस हमले में अदन आतंकरोधी इकाई के पांच अधिकारियों की हत्या कर दी गई थी। गौर हो, 2015 में हूथी विद्रोहियों राजधानी पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद यमन सरकार ने अदन में अपना मुख्यालय बना लिया था।
यहां सऊदी अरब की अगुआई वाली गठबंधन सेना में यूएई के सैनिक भी तैनात हैं। यह तैनाती भी 2015 से की गई है। ये गठबंधन यमन में हादी सरकार को बहाल करने के लिए ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों पर लगातार हमले कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि यमन के हालात को देखते हुए हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने युद्ध को समाप्त करने के लिए देश में फैसला लेने में सक्षम संबंद्ध पक्षों से राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने का आह्वान किया था। गौर हो, यमन इस युद्ध के कारण गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट में UN महासचिव के विशेष दूत इस्माइल ओलद शेख अहमद के हवाले से लिखा है कि यमन के बारे में निर्णय ले सकने वाले सक्षम संबद्ध पक्ष ही इस युद्ध को रोक सकते हैं।
अरब देश यमन में पिछले तीन वर्षों से सरकारी सेनाओं और हूथी विद्रोहियों में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इस दौरान नौ हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 50 हजार ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। यमन अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में माना जाता है। वहां राजधानी सना समेत देश के ज्यादातर हिस्सों परहूथी विद्रोहियों ने कब्जा कर रखा है। ईरान खुले तौर पर इन्हें समर्थन देता है। जबकि उनसे लड़ रहे देश के पूर्व राष्ट्रपति सालेह के समर्थन में सऊदी अरब है। वर्चस्व की इस लड़ाई का खामियाजा यमन के आम लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है।