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औरंगाबाद

कोटा से पैदल चलकर बिहार पहुंचे प्रवासी मजदूर, पांव में पड़े छाले, प्रशासन के भी उड़े होश

मधेपुरा के मधेश्वर शर्मा कोटा में एक फास्ट फूड रेस्तरां में काम करते थे। कोरोना संकट में (Migrant Labourers Returned Bihar From Kota On Foot) लॉकडाउन हुआ (Bihar News) तो…

औरंगाबादMay 16, 2020 / 09:30 pm

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कोटा से पैदल चलकर बिहार पहुंचे प्रवासी मजदूर, पांव में पड़े छाले, प्रशासन के भी उड़े होश

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प्रियरंजन भारती

औरंगाबाद,मधेपुरा: कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन में पेट की आग नहीं बुझी और कोई रास्ता नहीं सूझा तो जत्था बनाकर पैदल ही घर का रास्ता नाप डाला। 72 घंटों तक पैदल चलकर कुचायकोट के जलालपुर चेकपोस्ट पहुंचने पर रजिस्ट्रेशन कराने के वक्त कोटा से चले कामगारों ने अपने सफ़र की दास्तां साझा की। दर्द भरी दास्तां सुनकर रजिस्ट्रेशन कैंप में कर्मचारियों के भी मुंह से आह निकल आई।

 

कोटा से चले कुछ न था

मधेपुरा के मधेश्वर शर्मा कोटा में एक फास्ट फूड रेस्तरां में काम करते थे। कोरोना संकट में लॉकडाउन हुआ तो रेस्तरां के बंद हो जाने के बाद कोई काम नहीं बचा। कुछ दिनों तक जैसे तैसे खाकर गुजारा कर लिया। हारकर अंतत: घर निकलने की सोच ली।पैसे कुछ ही बचे थे। कोई उपाय न देख अपने जैसे साथियों संग पैदल ही निकल पड़े।रात दिन 72 घंटों तक का सफर तय करने में होश हवा हो गए। पैरों में गहरे छाले पड़ गए।

रास्ते में ट्रकों ने दी लिफ्ट

मधेपुरा के ही मधेश्वर साहनी कोटा से साथ साथ निकले। उन्होंने बताया कि रास्ते में कहीं कुछ खाने को शायद ही मिल पाता। साथ में चूड़ा, सत्तू के अलावा बस गठरी नुमा बैग था। कहीं कहीं रास्ते में ट्रक वालों ने दया दिखाई और सफ़र को हल्का करते हुए कुछ दूरी तक रिपोर्ट दे दी।ट्रक चालकों और ग्रामीणों की मदद से रास्ते में कहीं कहीं कुछ खाने को मयस्सर होता रहा।मगर मधेपुरा पहुंचने के जज्बे ने हौसला अफजाई की।पांव में छाले पड़ने और गहरी थकान के बावजूद चलते रहे।

रजिस्ट्रेशन काउंटर पर सुनकर हुए अवाक

मजदूरों का जत्था कोटा से हजार किलोमीटर से अधिक दूर पैदल पांच दिनों तक चलकर कुचायकोट चेकपोस्ट पहुंचा। काउंटर पर तैनात कर्मियों ने जब दर्द भरी दास्तां सुनी तो सभी अवाक रह गए। कामगारों को खाना खिलाया गया और गृह जिले में भेजने की व्यवस्था की गई।

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