कुल 44 करोड़ रुपये की लागत से बना ये स्क्रैपेज प्लांट, केंद्र की वाहन स्क्रैपेज नीति (Scrappage Policy) के अनुसार तैयार किया गया है। इस स्क्रैपेज प्लाइंट में हर महीने 2,000 वाहनों को स्क्रैप करने की क्षमता होगी और एक वाहन को स्क्रैप करने में करीब 3 घंटे से थोड़ा अधिक समय लगेगा। इस यूनिट का शुभारंभ करने के दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, नितिन गडकरी ने कहा कि, “प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्क्रैपेज नीति प्रमुख कारकों में से एक होगी। पुरानी कारें नई कारों की तुलना में बहुत अधिक प्रदूषण फैलाती हैं, इसलिए उन्हें चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है। हमें स्क्रैपेज पॉलिसी के कारण बिक्री 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।”
गडकरी ने यह भी कहा कि “केंद्र देश के हर जिले में कम से कम ऐसे ही वाहन रीसाइक्लिंग या स्क्रैपिंग सेंटर शुरू करने की योजना बना रहा है। इस तरह के कदम से न केवल पुरानी कारों को खत्म करने की प्रक्रिया में आसानी होगी बल्कि अधिक रोजगार भी पैदा होगा, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को भी कम करने में मदद मिलेगी।”
वहीं मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के एमडी और सीईओ केनिची आयुकावा ने कहा, “कई देशों की तरह, हमें एक ऐसी नीति की आवश्यकता है, जहां हर 3-4 साल में वाहनों की फिटनेस की जांच की जाए। हमें 15 साल इंतजार करने की जरूरत नहीं है।”
गडकरी ने आगे बताते हुए कहा कि “ऑटो सेक्टर का सालाना टर्नओवर तकरीबन 7.5 लाख करोड़ रुपये का है। इसे 5 साल में 15 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य है। भारत का लक्ष्य है कि 2070 तक नेट-जीरो इमिशन करना है और यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि स्क्रैपेज निति से इससे बड़ी मदद मिलेगी।
क्या है वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी:
बता दें कि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अगस्त महीने में राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज नीति की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति अगले साल अप्रैल महीने से लागू की जाएगी। वाहन परिमार्जन नीति नियम, जिन्हें केंद्रीय मोटर वाहन (23 वां संशोधन) नियम, 2021 भी कहा जा सकता है, इसके लिए सरकार काफी सजग है और उम्मीद है कि इसे आगामी 1 अप्रैल, 2022 से लागू कर दिया जाएगा।
आपको यह जानना जरूरी है कि, व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी पूरी तरह से स्वैच्छिक है और इस स्क्रैपिंग नीति के अनुसार, पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को चरणबद्ध करना है। इसके लिए व्यक्तिगत यानी प्राइवेट वाहनों के लिए 20 वर्षों के बाद ऑटोमेटिक सेंटर्स में फिटनेस परीक्षण करना अनिवार्य होगा, जबकि वाणिज्यिक वाहनों को 15 वर्षों के बाद परीक्षण से गुजरना होगा।
नीति में निजी वाहनों के लिए 20 साल और वाणिज्यिक वाहनों के लिए स्वचालित फिटनेस परीक्षण के लिए 15 साल की सीमा तय की गई है। यदि मालिक ऐसे पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का निर्णय लेते हैं, तो इस निति के माध्यम से एक नया वाहन खरीदने पर 5 प्रतिशत प्रोत्साहन का भी लाभ उठाया जा सकता है।
अनुपयुक्त वाहनों का नहीं होगा रजिस्ट्रेशन:
निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करने वाले वाहनों का क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में पंजीकरण नहीं होगा। 15 साल से अधिक पुराने वाहनों के मालिकों को पंजीकरण नवीनीकरण के लिए 8 गुना अधिक भुगतान करना होगा। इस पॉलिसी में 15 वर्ष से अधिक पुरानी कारों के लिए नवीनीकरण शुल्क के रूप में 5,000 रुपये की राशि निर्धारित की गई है। इसी तरह, 15 साल पुरानी बाइक के पंजीकरण को नवीनीकृत करने के लिए आपको 1,000 रुपये खर्च करने होंगे जो कि मौजूदा समय में केवल 300 रुपये है।
वहीं इम्पोर्टेड बाइक्स और कारों के लिए रजिस्ट्रेशन को रेन्यू करना और भी महंगा पड़ेगा, इसके लिए 10,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक खर्च करना होगा। 15 साल से पुराने बस या ट्रक जैसे सार्वजनिक और वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र के नवीनीकरण पर भी वर्तमान की तुलना में 8 गुना अधिक खर्च करना होगा।