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अयोध्या

वो 24 घंटे जब अयोध्या हुई राममयी

श्रीराम की नगरी अयोध्या में वह क्षण पुनः जीवंत हो उठा जब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास के बाद लौटे थे।

अयोध्याAug 06, 2020 / 10:08 pm

Abhishek Gupta

अयोध्या में वो 24 घंटे

अयोध्या में वो 24 घंटे

अभिषेक गुप्ता

अयोध्या. 5 अगस्त, 2020 वह तारीख जो आई तो सदियों की प्रतीक्षा व अनगिनत लोगों के संघर्ष के बाद, लेकिन अब सदियों के लिए वह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। श्रीराम की नगरी अयोध्या में वह क्षण पुनः जीवंत हो उठा जब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास के बाद लौटे थे। कलयुग में त्रेतायुग साकार होता दिखा। अयोध्या राममयी दिखी। मैंने भी अयोध्या में इस पल को जिया। अयोध्या में इतिहास बनते देखा। अयोध्या में 24 घंटे का समय मुझे भी मिला। यह 24 घंटे हर अयोध्या वासी के साथ-साथ मेरे लिए बेहद यादगार रहे होंगे।

4 अगस्त दोपहर दो बजे अयोध्या में दाखिल होते ही सड़कों के किनारे लगे लाउडस्‌पीकरों से मंदिरों के घंटे-घड़ियालों व भजनों की गूंज तृप्त करने वाली थी। सभी घर एक ही पीले रंग से सराबोर थे। घरों के बाहर भगवा रंग में ‘जय श्री राम’ लिखे झंडे हवा से बातें कर रहे थे। कदम-कदम पर लगे होर्डिंग्स के साथ दीवारों पर धार्मिक चित्रों, खासतौर से राम वनमगन से जुड़े दृश्य, रामदरबार की पेंटिंग बदलाव की बयार का अहसास करा रहे थे। सड़कों पर इस दौरान सन्‌नाटा रहा, दिखे तो केवल पुलिस जवान और मीडिया कर्मियों की गाड़ियां।चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात रहे। होटल व धर्मशालाओं की टोह खुफियातंत्र के जवान ले रहे थे। शासन के आदेशानुसार सभी दुकानें भी बंद रही। हालांकि इसी कारण लोगों को खान-पान की कुछ समस्या भी हुई। जगह-जगह बैरीकेटिंग थी। एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में सुरक्षा में लगी पुलिस के सवालों से दो-चार होना पड़ा रहा था। इस व्यवस्था की कतई आलोचना नहीं की जा सकती थी। पुलिस भी विनम्र थी और लोगों से केवल सहयोग की ही मांग कर रही थी। लेकिन शाम के वक्त वह सहयोग न मिल सका।

आकर्षण ही आकर्षण-

राम की पैड़ी में कार्यक्रम और दीपोत्सव को देखने के लिए लोग घरों से बाहर निकल पड़े। इस दौरान पुलिस का जोर न चल सका। सड़क पर कदम रखने भर की जगह नहीं थी।दुकानें भी कुछ खुल गई थी, लेकिन इस उत्साह को भला कौन शांत कर सकता था। घरों के बाहर, रोड के किनारे हजारों दीपक भी जल उठे, मानों श्रीराम का स्वागत कर रहे हों। जहां तक नजर जा रही थी, वहां तक दीयों की लौ दिख रही थी। पूरे शहर की भव्य लाइटिंग की खूबसूरती भी देखते ही बनती थी। राम-नाम घर-घर गूंज रहा था, मठ मंदिरों में अखंड पाठ भी चल रहा था। कई मंदिरों में प्रसाद भी वितरित किया था रहा था। अयोध्या इस वक्त श्रीराम की दीपावली वाली अयोध्या लग रही थी। लेकिन राम की पैड़ी का आकर्षण अलग ही था। वहां का दृश्य बुधवार 5 अगस्त को चरम पर पहुंचने वाले उल्लास की अनुभूति करा रहा था। गुलाबी व हरे रंग की लाइटों के बीच लाखों दियों की सुनहरी रोशनी राम की पैड़ी की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी। आम लोग क्या सुरक्षा में तैनात पुलिस जवान भी खुद को इस खूबसूरती का लुफ्त उठाने से रोक न सके और मोबाइल में तस्वीरें कैद करने लगे। कोरोना वायरस का खौफ कहीं न था। स्थानीय निवासी प्रदीप अपने मित्रों के साथ यहां मौजूद थे, वह कहते हैं कि कोरोना का डर तो है, लेकिन यह दृश्य अद्भुत है, कैसे रोके खुद को इस देखने से।

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मौनी महाराज ने कहा, यह भावनाओं का दीपोत्सव है-

यहीं पर दिखे मौनी महाराज, जो 30 वर्षों से राम मंदिर निर्माण के लिए 53 बार समाधि ले चुके थे। वह कहते हैं “यह करोड़ों लोगों की भावनाओं का दीपोत्सव है। राम मंदिर के उत्सव का समय हो और यह दीपावली न हो, यह संभव नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए मेरा तप सफल हुआ है। आगे भी देश व विश्व के कल्याण के लिए मैं तप करता रहूंगा।
चिंटू जी रहे मुस्तैद-

कुछ ही दूरी पर हमें मिले ‘चिंटू जी’। पीएम मोदी की सुरक्षा में इनकी बड़ी भूमिका थी। बंदरों के झुंड को राम मंदिर परिसर से दूर रखने का जिम्मा इन्हीं पर था। लाल रंग चेहरे वाले बंदर काले रंग के चेहरे वाले चिंटू जी से बेहद डरते हैं, इसलिए इस मौके पर इनका वहां रहना बेहद जरूरी था।अपने ट्रेनर के साथ एक जगह चुपचाप बैठ चिंटू जी लोगों को टकटकी लगाए देखते रहे। इसके अतिरिक्त एक गीतकारों का समूह लोगों का श्रीराम के गीतों की धुन से मनोरंजन कर रहा था। राम की पैड़ी से ही जुड़े सरयू घाट का नजारा भी अलौकिक था। यहां संध्या आरती हुई और मंत्रोच्चारण से पूरा वातावरण गूंज उठा।
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आई 5 अगस्त की सुबह-

फिर 5 अगस्त की सुबह आई। यह सुबह सिर्फ राम नगरी के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के सनातन धर्मावलंबियों के जीवन की नई सुबह थी। हालांकि उस सुबह सूर्य देवता के दर्शन तो नहीं हुए, क्योंकि इंद्र देव ने अयोध्या में अपनी जगह बना ली। 4 अगस्त को जहां भीषण गर्मी थी, वहीं पांच अगस्त को मौसम सुहावना हो गया। हल्की मध्य बारिश ऐसी हुई मानो सुबह-सुबह अयोध्या एतिहासिक कार्यक्रम से पहले स्नान कर रही हो। सरयू घाट पर मौजूद एक संत ने कहा कि “भगवान राम पांच सदियों का वनवास काटकर अपने भवन में रहने जा रहे हैं। आज समस्त देव व प्रकृति मेघ वर्षा करके भगवान राम का अभिनंदन कर रही हैं। इंद्र देव समेत सभी देव अयोध्या की ओर आ रह हैं।” और कुछ ही घंटों में आने वाले थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। क्षण जितना नजदीक आता गया, नाकेबंदी उतनी तेज होती गई। सुबह नौ बजे तक जो जहां था, वहीं रुक गया। घर से बाहर कोई व्यक्ति निकला तो नौ बजे के बाद उसे घर की ओर जाने की इजाजत नहीं थी।
पल-पल बढ़ता उत्साह-

सभी अपने-अपने घरों में थे। अपने अराध्या की अराधना में जो अयोध्या रात भर जागी वह सुबह दशरथ और कौशल्या के जैसे भगवान राम की वापसी का इंतजार कर रही थी। घरों में टीवी खुली थी। और लोग ऐसे उसे देख रहे थे, मानो भगवान राम खुद उनके ही घर आने वाल हों। प्रधानमंत्री के आने से पहले सड़कों पर सन्नाटा ऐसा था जैसे कभी दूरदर्शन पर रामायण आने पर होता था। हनुमान गढ़ी से कुछ कदम पहले ही बैरिकेटिंग लगा दी गई। बैरिकेटिंग के उधर हनुमानगढ़ी की गली और इधर हम मीडिया कर्मी व पुलिस फोर्स। इस दौरान किसी तरह कुछ राम भक्त वहां आ गए। जैसे-जैसे पीएम मोदी के आने की घड़ी नजदीक आ रही थी, वैसे-वैसे ‘जय श्रीराम’ के नारे तेज होते जा रहे थे। वहां आसपास के घर लोग बॉलकनी और छतों पर खड़े होकर उनके आगमन की राह देख रहे थे। हाथ में जय श्रीराम लिखे झंडे लिए लोगों का उत्साह परवान चढ़ रहा था। एक्का-दुक्की जो दुकानें आस-पास खुली थी वहां लगी टीवी पर लोगों की आतुर निगाहें बार-बार जा रही थी। मोदी लखनऊ आए, उसके बाद वह चौपर से अयोध्या के लिए रवाना हुए जैसे पल-पल के अपडेट देख वे अति उत्साहित हो रहे थे।
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शुरू हुआ पूजन-

पीएम मोदी की अगवानी को बेकरार अयोध्या की खुशियों को तब पंख लग गए जब चॉपर की आवाज अयोध्या में गूंजने लगी। साकेत विश्वविद्यालय से जब पीएम मोगी का काफिला रामगढ़ी की तरह पहुंचा तब सभी अयोध्यावासियों का उत्साह सांतवे आसमान पर था। यह सभी पल लोग अपने-अपने मोबाईल में कैद कर लोगों में शेयर कर रहे थे। वहां से रवाना होकर एक ओर पीएम मोदी श्रीराम जन्मभूमि स्थल पहुंच भूमिपूजन कर रहे थे, तो दूसरी ओर लोग अपने-अपने घरों में पूजा पाठ व हवन कर रहे थे।
अंत में कार्यक्रम खत्म हुआ। राम मंदिर के निर्माण की नींव रखी जा चुकी थी। दुकानों के बाहर मौजूद लोगों ने कहा जीवन सफल हुआ। उनमें से कई लोगों ने आसमान की ओर हाथ जोड़ दिए, मानो भगवान को धन्यवाद कह रहे हों। बेशक करोड़ो रामभक्तों के जेहन के साथ यह चिर अभिलाषित क्षण आने वाली पीढ़ी के लिए गौरव गाथा तुल्य रहेंगे।
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