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अयोध्या

भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मौलाना अरशद मदनी ने रखी शर्त, मांगे इतने हिस्से

अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपना फार्मूला सामने रखा है।

अयोध्याNov 06, 2019 / 02:30 pm

आकांक्षा सिंह

भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मौलाना अरशद मदनी ने रखी शर्त, मांगे इतने हिस्से

भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मौलाना अरशद मदनी ने रखी शर्त, मांगे इतने हिस्से

अयोध्या. अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपना फार्मूला सामने रखा है। भूमि विवाद हल करने को लेकर मदनी ने शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि राम चबूतरे को मुस्लिम छोड़ देंगे, राम भंडारा, सीता रसोई पर भी हक छोड़ें देंगे, तीन गुंबदों वाला हिस्सा हमें मिले व तीन गुंबदों के सामने वाला हिस्सा भी हमें मिले।

कयामत तक रहेगी मस्जिद : अरशद मदनी

अयोध्या में राममंदिर औैर बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि कोर्ट का जो भी निर्णय होगा उसे मुसलमान स्वीकार करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद, कानून और न्याय की दृष्टि में एक मस्जिद थी। करीब 400 साल तक मस्जिद थी, इसलिए शरीयत के लिहाज आज भी वो एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या पर सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह फैसला हमारे पक्ष में आएगा। साथ ही अरशद मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद का केस केवल भूमि का नहीं है बल्कि यह मुकदमा देश के दस्तूर और कानून का है।

जमीयत के प्रमुख ने कहा कि अयोध्या में 400 साल से बाबरी मस्जिद थी और कयामत तक मस्जिद ही रहेगी। सत्ता और ताकत के दम पर उसे कोई भी स्वरूप दिया जाए। किसी पार्टी या व्यक्ति का अधिकार नहीं है कि किसी विकल्प के उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाए. ऐसे में साक्ष्य और सबूत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसे हम स्वीकार करेंगे।

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