विहिप की पत्थर तराशी कार्यशाला जन्मभूमि के बीच सरकारी अमला भाग- दौड़ में लगा हुआ है। कारसेवकपुरम के गेट पर चार-पांच पुलिसवाले बैठे हैं। गेट से गाड़ियां अंदर जा रही हैं। भीतर गले मे विहिप की ओर से जारी कार्ड लटकाए स्वयंसेवक किसी इवेंट मैनेजमेंट टीम की तरह मुस्तैद हैं। मेहमानों को कोई दिक्कत न हो उसको लेकर एक हेल्प डेस्क बनाई गई है।
उधर, कारसेवकपुरम से लगभग 200 मीटर दूर और जहांं पत्थर तराशे जा रहे हैं, उस कार्यशाला के पीछे मानस भवन है। मेहमानों के ठहरने का इंतजाम यहां किया गया है। मानस भवन में अंदर जाते ही बड़ा सा हॉल है। यहां प्रवेश करने वाले अनजान व्यक्तियों को गेट पर ही रोक दिया जा रहा है। भगवा कुर्ता और पीले कुर्ते में स्वयंसेवक अनजान लोगों को रोक रहे हैं। कहा जा रहा है कि जब तक मेहमान पूजा में शामिल नहीं हो जाते उन्हें किसी से नहीं मिलना है। मानस भवन के भीतर कार्यशाला है। इसे भी सजाया गया है। गेट को फूलों और झालरों से सजाया गया है। अंदर जन्मभूमि का लाइव प्रसारण देखने के लिए एलईडी स्क्रीन लगाई गई है।
15 साल में पहली बार हनुमान गढ़ पर लगी बैरिकेडिंग हटा अयोध्या में हो रहे भूमिपूजन में खास बात ये भी है कि 15 साल में पहली बार हनुमानगढ़ी पर लगी बैरिकेडिंग हटाई गई है। बगल में कपड़े की दुकान में बैठे रौशन कहते है कि जब अयोध्या में ब्लास्ट हुआ था तब सुरक्षा के लिए यह बैरिकेडिंग लगाई थी। अब यह बैरिकेडिंग कार्यक्रम को देखते हुए हटाई गई है और कार्यक्रम पूरा होने के बाद वापस लगाई जाएगी।
मेहमानों को बुलाने पर लगी रोक अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं। बाहरी व्यक्तियों के जिले में प्रवेश पर रोक है। स्थानीय लोगों के घरों में मेहमानों के आने पर भी रोक है। लगभग डेढ़ किमी के रास्ते पर 4 से 5 मोहल्लेवालों को घरों में कल शाम तक कैद रहना पड़ेगा। टेढ़ी बाजार चौराहे से ही बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब के घर की ओर जाने वाला रास्ता भी है। यहां हमेशा की तरह पुलिस मुस्तैद है और बैरिकेडिंग लगी हुई है, लेकिन सड़क पर सन्नाटा पसरा हुआ है।